बिहार भूमि सर्वे 2025: सरकारी जमीनों को लेकर नई तैयारी

पटना: बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण 2025 के अंतर्गत अब सरकारी जमीनों का भी बारीकी से आकलन किया जा रहा है। सरकार ने इस दिशा में सख्त कदम उठाते हुए सभी प्रकार की राजस्व, धार्मिक और सार्वजनिक उपयोग वाली जमीनों का रिकॉर्ड अपडेट करना शुरू कर दिया है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य न केवल सरकारी स्वामित्व की जमीनों का दस्तावेजीकरण करना है, बल्कि उन्हें अवैध कब्जेदारों से मुक्त कराना भी है।

सरकार के नाम पर दर्ज होगा रिकॉर्ड

सभी सरकारी श्रेणियों की जमीनों का सर्वे सरकार के नाम पर दर्ज किया जाएगा। इसके लिए सर्वे अधिकारी संबंधित अंचल कार्यालयों से सूचनाएं और रिकॉर्ड मंगा रहे हैं। यह जानकारी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी अपडेट की जा रही है, जिससे पारदर्शिता बनी रहे और भविष्य में किसी तरह का विवाद या भ्रम न हो।

अवैध कब्जेदारों पर होगी कार्रवाई

सरकार की मंशा स्पष्ट है—सरकारी जमीनों को चिन्हित कर अवैध कब्जों से मुक्त कराना। जिन जमीनों पर निजी कब्जा पाया जाएगा, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। ऐसे मामलों में भूमि अतिक्रमण अधिनियम के तहत तत्काल प्रभाव से निष्कासन की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

अधिकारियों को सख्त निर्देश

मुख्यमंत्री कार्यालय से सभी जिलों के डीएम और अंचलाधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे सरकारी जमीनों के सर्वे में कोई कोताही न बरतें और नियमित रूप से अपडेट भेजें। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि जो जमीनें सरकारी रिकॉर्ड में हैं, वे सार्वजनिक हित में ही इस्तेमाल हों।

सर्वे में कौन-कौन सी सरकारी जमीनें शामिल?

गैरमजरूआ आम: सार्वजनिक उपयोग की जमीन, जैसे तालाब, सड़क, आदि।

गैरमजरूआ मालिक: सरकार के स्वामित्व वाली निजी भूमि।

कैसरे हिंद: ब्रिटिश राज के बाद सरकार के अधीन आई भूमि।

बकाश्त भूमि: पूर्व जमींदारों द्वारा छोड़ी गई खाली जमीन।

धार्मिक न्यास की जमीनें: धार्मिक ट्रस्टों और संस्थानों के अधीन भूमि।

भू-दान और भू-हदबंदी भूमि: दान की गई या भूमि सुधारों के तहत अधिग्रहित की गई जमीनें।

बासगीत पर्चा और बंदोबस्ती पर्चा: गरीबों और भूमिहीनों को आवंटित भूमि, जिनकी स्थायी बंदोबस्ती की जा चुकी है।

0 comments:

Post a Comment