यूपी में 'आउटसोर्स कर्मचारियों' के लिए बड़ी राहत!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हजारों आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए राहत की खबर सामने आई है। राज्य सरकार की ओर से प्रस्तावित "उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम" से संबंधित मसौदे पर परामर्शी विभागों ने अपनी सहमति दे दी है। अब यह प्रस्ताव सचिवालय प्रशासन विभाग से होते हुए मुख्यमंत्री के समक्ष भेजा जाएगा और अंतिम निर्णय कैबिनेट की मंजूरी के बाद लिया जाएगा।

क्या है प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य?

इस प्रस्ताव का मकसद आउटसोर्स कर्मचारियों के सेवा प्रबंधन में पारदर्शिता लाना और उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है। नए मॉडल के तहत कर्मचारियों के ईपीएफ (EPF), ईएसआई (ESI), बीमा, चिकित्सा सुविधाएं और अन्य भत्तों का प्रबंधन अब प्रस्तावित निगम द्वारा किया जाएगा।

मानदेय का भुगतान एजेंसियों से ही

हालांकि परामर्शी विभागों — विशेष रूप से कार्मिक और वित्त विभाग — ने सुझाव दिया है कि कर्मचारियों का मानदेय भुगतान मौजूदा व्यवस्था के तहत आउटसोर्स एजेंसियों के माध्यम से ही हो, लेकिन यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी निगम की होगी कि पूरा वेतन समय से कर्मचारी के बैंक खाते में पहुंचे। इस निगरानी व्यवस्था से वेतन में देरी या कटौती की शिकायतों पर रोक लगने की उम्मीद है।

एजेंसियों की मनमानी पर लगेगा ब्रेक

प्रस्ताव में एक और बड़ा प्रावधान यह है कि कोई भी आउटसोर्स एजेंसी अपने स्तर पर किसी कर्मचारी को हटा नहीं सकेगी। यह अधिकार केवल निगम या संबंधित विभाग के पास रहेगा। इससे कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा बढ़ेगी।

सेवायोजन पोर्टल के जरिए होगी नियुक्ति

आउटसोर्स के माध्यम से चतुर्थ श्रेणी को छोड़कर अन्य सभी श्रेणियों में भर्तियां अब "सेवायोजन पोर्टल" के माध्यम से की जाएंगी। इससे चयन प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होगी, साथ ही राजनीतिक या निजी दबाव में की जाने वाली भर्तियों पर भी अंकुश लगेगा।

अगला कदम: मुख्यमंत्री की मुहर

सचिवालय प्रशासन विभाग अब इस प्रस्ताव पर मुख्य सचिव से मार्गदर्शन लेगा। उसके बाद इसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अवलोकनार्थ प्रस्तुत किया जाएगा। मुख्यमंत्री की स्वीकृति मिलने के बाद यह प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा।

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