भारत ने रक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी उपलब्धि हासिल करते हुए आधुनिक लेज़र हथियार तकनीक में महत्वपूर्ण छलांग लगाई है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया 30 किलोवाट का उन्नत लेज़र हथियार अब सेना के इस्तेमाल के लिए तैयार है। यह हथियार हवा में उड़ रहे दुश्मन के ड्रोन, हेलीकॉप्टर और मिसाइलों को महज कुछ ही सेकंड में नष्ट करने में सक्षम है।
5 किलोमीटर तक मार करने की क्षमता
इस लेज़र हथियार की सबसे बड़ी ताकत इसकी 5 किलोमीटर तक की सटीक मारक क्षमता है। यह आधुनिक 360 डिग्री सेंसरों से लैस है, जो किसी भी दिशा से आने वाले खतरे को तुरंत भांप कर उसे नष्ट कर सकता है। इसके चलते यह सीमाओं पर तैनात सैनिकों को रियल-टाइम सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम होगा।
जमीन और समुद्र दोनों पर तैनाती संभव
इस हथियार की डिज़ाइनिंग इतनी लचीली है कि इसे न सिर्फ जमीनी वाहनों पर बल्कि नौसेना के जहाजों पर भी आसानी से तैनात किया जा सकता है। चाहे वह हवाई हमला हो या समुद्री घुसपैठ—यह लेज़र हथियार सभी मोर्चों पर भारत की रक्षा प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाएगा। इसे ट्रेन, ट्रक, जहाज या हवाई जहाज के ज़रिए बेहद तेजी से तैनात किया जा सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर में भी सक्षम
यह सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि एक मल्टी-रोल सिस्टम है। यह दुश्मन के संचार और सैटेलाइट सिग्नल को भी जाम करने की क्षमता रखता है, जिससे यह इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के मैदान में भी भारत को रणनीतिक बढ़त दिला सकता है।
‘सूर्या’ लेज़र हथियार से भविष्य की तैयारी
DRDO यहीं नहीं रुका है। आने वाले समय में भारत 300 किलोवाट क्षमता वाला 'सूर्या' लेज़र हथियार भी पेश करेगा, जिसकी मारक क्षमता 20 किलोमीटर तक होगी। यह सिस्टम अत्यधिक तेज़ गति से उड़ने वाली मिसाइलों और हाई-स्पीड ड्रोन्स को भी पलभर में खत्म करने की क्षमता रखेगा।
चुनिंदा वैश्विक ताकतों की श्रेणी में भारत
हाल ही में लेज़र हथियारों की इस नई उपलब्धि के साथ भारत अब अमेरिका, चीन, इजरायल और रूस जैसे चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जिनके पास उन्नत डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) तकनीक है। यह उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत अभियान और रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी तकनीकों के विकास को मजबूती प्रदान करती है।
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