बता दें की इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के करीब 5 लाख शिक्षक और 1 करोड़ छात्र प्रतिदिन ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करेंगे। बायोमेट्रिक अटेंडेंस और लोकेशन आधारित ट्रैकिंग से यह भी स्पष्ट होगा कि किस स्कूल में कितने शिक्षक और विद्यार्थी समय पर उपस्थित हैं।
मुख्यालय से होगी निगरानी
बोर्ड मुख्यालय से ही हर दिन सुबह 11:00 बजे तक यह जानकारी मिल जाएगी कि किस विद्यालय में कितने छात्र और शिक्षक मौजूद हैं। इससे न केवल उपस्थिति की सही जानकारी मिलेगी, बल्कि पढ़ाई और अनुशासन को लेकर मॉनिटरिंग भी सख्त हो सकेगी।
गलत सूचना देने पर रोक
इस डिजिटल व्यवस्था के तहत एक विशेष सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है, जिसका टेंडर फाइनल हो चुका है और एजेंसी ने काम शुरू कर दिया है। यह सॉफ्टवेयर इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि कोई भी विद्यालय फर्जी सूचना न दे सके। हाजिरी दर्ज करते समय स्कूल प्रिंसिपल की वेबकैम से फोटो भी ली जाएगी, जिससे समय और स्थान का स्वतः सत्यापन हो सकेगा।
लोकेशन-लॉक सुविधा
इस सॉफ्टवेयर में जीपीएस आधारित लोकेशन लॉक सिस्टम भी होगा। विद्यालय के 200 मीटर दायरे से बाहर की गई उपस्थिति स्वीकार नहीं की जाएगी। इसके अलावा हाजिरी की सूचना समय पर भेजने की जिम्मेदारी प्रिंसिपल की होगी और जवाबदेही भी तय की जाएगी।
अधिकारियों की जवाबदेही भी तय
जनपद स्तर पर डीआईओएस (जिला विद्यालय निरीक्षक) और मंडल स्तर पर संयुक्त शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) को निगरानी की जिम्मेदारी दी जाएगी। वहीं, यूपी बोर्ड प्रदेश स्तर पर पूरे सिस्टम की निगरानी करेगा।
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