लखनऊ: उत्तर प्रदेश में स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर अब लापरवाही बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। परिवहन विभाग ने सख्त रुख अपनाते हुए स्कूल वाहनों की गति सीमा तय कर दी है। अब कोई भी स्कूली बस या वैन 40 किमी प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से दौड़ती पाई गई, तो संबंधित स्कूल की मान्यता रद्द करने की सिफारिश की जा सकती है।
इस निर्णय के पीछे मुख्य कारण स्कूली वाहनों की स्पीड गवर्नर से की जा रही छेड़छाड़ है। विभाग को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि चालक निर्धारित गति सीमा को ताक पर रखकर वाहन 70 से 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चला रहे हैं, जिससे बच्चों की जान को खतरा पैदा हो रहा है। इसे गंभीरता से लेते हुए परिवहन विभाग ने अब विशेष अभियान चलाने का फैसला किया है।
सख्ती के संकेत, अब होगी नियमित निगरानी
आरटीओ प्रवर्तन अधिकारी संदीप कुमार पंकज ने जानकारी दी कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर विभाग पहले से ही अभियान चलाता रहा है और अब इसे और भी प्रभावी बनाया जाएगा। खासतौर पर शहर के प्रमुख मार्गों और स्कूलों के बाहर तैनात अधिकारी स्कूली वाहनों की जांच करेंगे। स्पीड गवर्नर की कार्यप्रणाली सही है या नहीं, इसकी भी नियमित निगरानी की जाएगी। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि ओवरस्पीडिंग और ओवरलोडिंग की स्थिति में स्कूल प्रबंधन और वाहन मालिक दोनों को जिम्मेदार माना जाएगा। बच्चों की सुरक्षा के साथ कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा।
क्या है नियमों का नया प्रारूप?
स्कूली वाहनों की अधिकतम गति सीमा 40 किमी/घंटा तय।
स्पीड गवर्नर से छेड़छाड़ पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई।
ओवरलोडिंग की स्थिति में भी होगी सख्त कार्रवाई।
स्कूल प्रबंधन की मान्यता रद्द करने तक की कार्रवाई संभव।
अभिभावकों को राहत, स्कूलों पर बढ़ेगी जिम्मेदारी
इस कदम से न केवल स्कूली वाहनों की बेलगाम रफ्तार पर रोक लगेगी, बल्कि बच्चों के माता-पिता को भी राहत मिलेगी, जो आए दिन स्कूली वाहनों की लापरवाह ड्राइविंग को लेकर चिंतित रहते हैं। अब स्कूल प्रशासन और वाहन मालिकों को जवाबदेह बनना होगा। परिवहन विभाग की यह पहल न केवल सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देगी, बल्कि एक ज़िम्मेदार परिवहन व्यवस्था की ओर कदम भी साबित होगी।
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