सचिव की ओर से 9 मई को जारी इस आदेश में कहा गया है कि जिन शिक्षकों ने आवेदन की अंतिम तिथि तक आवश्यक शैक्षिक योग्यता पूरी नहीं की थी, उनसे तत्काल स्पष्टीकरण लिया जाए और उनकी सेवा समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू की जाए। यह आदेश अब सार्वजनिक हो गया है और प्रदेश भर के बीएसए को त्वरित कदम उठाने को कहा गया है।
हाईकोर्ट ने भी जताई सख्ती
यह निर्देश इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस निर्णय के अनुपालन में जारी किया गया है जिसमें कहा गया था कि अंतिम तिथि के बाद अर्हता प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी शिक्षक भर्ती के लिए अयोग्य माने जाएंगे। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि ऐसे उम्मीदवारों का चयन नियमों के खिलाफ है।
69000 शिक्षक भर्ती का बैकग्राउंड
गौरतलब है कि 69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के तहत अक्टूबर 2020 में पहले बैच में 31,277 और दिसंबर 2020 में दूसरे बैच में 36,590 शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी। इसके अलावा तीसरे चरण में 6,696 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। इस लिहाज से कुल मिलाकर तकरीबन 74,000 अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई थी। इनमें से कई अभ्यर्थी ऐसे थे जिनका बीटीसी या डीएलएड कोर्स 22 दिसंबर 2018 तक पूरा नहीं हुआ था, लेकिन भर्ती प्रक्रिया के दौरान उन्होंने प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया था।
अब तक क्यों नहीं हुई कार्रवाई?
इस मुद्दे को लेकर पहले भी प्रदेश के 29 जिलों के बीएसए को निर्देश भेजे जा चुके थे, लेकिन व्यापक स्तर पर कार्रवाई नहीं हो पाई थी। अब सचिव की ओर से सभी जिलों को दोबारा निर्देश जारी किए गए हैं जिससे स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि शासन इस बार पीछे हटने के मूड में नहीं है।
कितने शिक्षक होंगे प्रभावित?
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि ऐसे शिक्षकों की कुल संख्या कितनी है, लेकिन अनुमान है कि यह संख्या सैकड़ों में हो सकती है। बेसिक शिक्षा परिषद अब जिलों से जानकारी एकत्र कर रहा है ताकि अंतिम निर्णय लिया जा सके।
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