बिहार में भूमि सर्वे और दाखिल-खारिज में सुस्ती

पटना – बिहार सरकार राज्य में 2026 तक भूमि सर्वेक्षण का कार्य पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन पटना जिले में दाखिल-खारिज की सुस्त प्रक्रिया ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। जिले में दाखिल-खारिज के 14,000 से अधिक मामले पेंडिंग हैं, जिनमें से लगभग 1,700 केस तय सीमा 75 दिनों को पार कर चुके हैं। वहीं अन्य जिलों में भी स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं हैं।

राजस्व समीक्षा बैठक में CO को अंतिम चेतावनी

हाल ही में संपन्न हुई राजस्व समीक्षा बैठक में इन पांच अंचलों के अंचलाधिकारियों (CO) को सख्त चेतावनी दी गई है। जिला प्रशासन ने साफ कर दिया है कि अगर इस माह के अंत तक लंबित मामलों का समाधान नहीं हुआ, तो संबंधित अधिकारियों पर विभागीय अनुशंसा की जाएगी।

आम जनता बेहाल, महीनों से चक्कर काट रहे लोग

दाखिल-खारिज जैसी आवश्यक प्रक्रिया के लिए आम नागरिक महीनों से अंचल कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। जबकि नियमानुसार, सामान्य मामलों का निपटारा 35 दिनों और विवादास्पद मामलों का अधिकतम 75 दिनों में किया जाना चाहिए। इसके बावजूद कई मामले छह महीने से अधिक समय से लंबित हैं।

सरकार की कोशिशें और प्रशासनिक ढिलाई के बीच टकराव

राज्य सरकार जहां आधुनिक भूमि प्रबंधन और पारदर्शिता को लेकर तेजी से काम कर रही है, वहीं जिला और अंचल स्तर पर हो रही ढिलाई ने इस प्रयास को झटका दिया है। यदि दाखिल-खारिज जैसे बुनियादी मामलों का समयबद्ध निपटारा नहीं हुआ, तो सरकार के डिजिटल भूमि रिकॉर्ड और पारदर्शी प्रशासन के सपने अधूरे रह सकते हैं।

केवल दाखिल-खारिज नहीं, मापी और अतिक्रमण पर भी फोकस

पटना के जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि दाखिल-खारिज के साथ-साथ भूमि मापी, अतिक्रमण और "परिमार्जन प्लस" जैसे मामलों का भी शीघ्र निपटारा हो। उन्होंने कहा, “जनता को राहत देना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”

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