इस बदलाव के तहत किसी फ्लैट खरीदार के नाम पर जमीन के हिस्से की अलग से जमाबंदी नहीं होगी। इसके बजाय, पूरी जमीन की जमाबंदी बिल्डर या सोसाइटी के नाम पर की जाएगी, जिसमें सभी फ्लैटधारकों का उल्लेख होगा। विभाग का कहना है कि यह व्यवस्था दो महीनों के भीतर लागू की जा सकती है, और इसके लिए जरूरी सॉफ्टवेयर अपडेट और प्रक्रियाएं अंतिम चरण में हैं।
अब तक की व्यवस्था में थी खामियां
अब तक की व्यवस्था के अनुसार, जब कोई व्यक्ति फ्लैट खरीदता था तो संबंधित जमीन का हिस्सा उसके नाम पर दाखिल-खारिज कर दिया जाता था। लेकिन बिहार भूमि दाखिल-खारिज अधिनियम 2011 और 2012 में ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद कुछ अंचल कार्यालयों ने फ्लैटधारियों के नाम से जमाबंदी कर दी, जिससे कानूनी और प्रशासनिक उलझनें बढ़ने लगीं।
राजस्व विभाग को इसको लेकर कई शिकायतें और अनियमितताओं की खबरें मिली थीं। अधिकारियों के अनुसार, मौजूदा सॉफ्टवेयर में भी फ्लैटधारियों के नाम पर जमीन के टुकड़े की जमाबंदी करने की सुविधा नहीं है, जिससे भविष्य में विवाद की आशंका बनी रहती थी।
क्यों लिया गया ये फैसला?
बिहार में जमीन की बढ़ती कीमत और शहरी इलाकों में भूखंडों की कमी के चलते अपार्टमेंट कल्चर तेजी से पनप रहा है। पटना, गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर जैसे शहरों में रिहायशी अपार्टमेंट की मांग लगातार बढ़ रही है। लेकिन मौजूदा रजिस्ट्री व्यवस्था इस बढ़ती मांग के अनुरूप नहीं थी। सामूहिक जमाबंदी की नई व्यवस्था से कानूनी प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्थायित्व आने की उम्मीद है।
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