गैरहाजिर बच्चों के अभिभावकों को मिलेगा नोटिस
श्री सिद्धार्थ ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि यदि कोई छात्र नियमित तौर पर स्कूल नहीं आता है, तो प्रधानाध्यापक और शिक्षक उसके माता-पिता को नोटिस भेजें। अगर इसके बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो ऐसे छात्रों का नाम स्कूल से काट दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि 270 कार्यदिवसों में से केवल 50 दिन स्कूल आकर शिक्षा की गुणवत्ता की उम्मीद करना पूरी तरह अनुचित है।
सिर्फ नामांकन नहीं, उपस्थिति भी है जरूरी
एसीएस ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा पर बड़े पैमाने पर संसाधन खर्च कर रही है। मुफ्त किताबें, छात्रवृत्ति, पोशाक, मध्याह्न भोजन और शिक्षकों की बहाली जैसे कई कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन यदि बच्चे स्कूल ही नहीं आएंगे, तो यह सब व्यर्थ हो जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि सिर्फ नामांकन करा लेना और फिर बच्चों को ट्यूशन भेज देना, यह व्यवस्था के साथ धोखा है और पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
सरकारी स्कूलों में भी अब होगी सख्ती
एस. सिद्धार्थ ने कहा कि जैसे प्राइवेट स्कूलों में गैरहाजिरी पर टीसी (स्थानांतरण प्रमाणपत्र) दे दी जाती है, वैसे ही अब सरकारी स्कूलों में भी सख्ती की जरूरत है। उन्होंने कहा, "यह एकतरफा प्रयास नहीं हो सकता। समाज, अभिभावक और स्कूल प्रशासन सभी को जिम्मेदारी निभानी होगी।"
शिक्षा की गुणवत्ता के लिए उपस्थिति अनिवार्य
शिक्षा विभाग की यह नई नीति स्पष्ट संकेत देती है कि अब गुणवत्ता वाली शिक्षा तभी संभव है जब बच्चे स्कूल नियमित आएं। अनुपस्थित रहने वाले छात्रों की अब जवाबदेही तय की जाएगी और सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा।
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