स्वदेशी ड्रोन: आत्मनिर्भर भारत की उड़ान
भारत की रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किए गए कई ड्रोन अब भारतीय सेनाओं की रीढ़ बन चुके हैं। इनमें प्रमुख हैं – निशांत, रुस्तम, रुस्तम-2 और गगन।
1 .निशांत: यह टोही ड्रोन कैटापुल्ट लॉन्च सिस्टम से उड़ता है और पैराशूट के जरिए लैंड करता है। इसका इस्तेमाल खासतौर से निगरानी और जासूसी में किया जाता है। इसमें हाई-रेजोल्यूशन 3डी इमेजिंग सिस्टम लगा होता है।
2 .रुस्तम और रुस्तम-2: टोही और निगरानी के लिए विकसित इन ड्रोनों की सबसे बड़ी खासियत है कि ये 24 घंटे तक लगातार काम कर सकते हैं। इन्हें भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना – तीनों में इस्तेमाल किया जा रहा है।
3 .गगन: यह भी निगरानी और खुफिया गतिविधियों में काम आता है।
आयातित ड्रोन: इजराइली टेक्नोलॉजी से हुआ शक्ति में इजाफा
1 .हेरॉन मार्क-2: इजराइल से प्राप्त यह ड्रोन 32,000 फीट की ऊंचाई पर लगातार 24 घंटे से अधिक उड़ान भरने की क्षमता रखता है। 3,000 किलोमीटर की रेंज और 250 किलो पेलोड कैपेसिटी के साथ यह भारतीय सेना का एक अहम हथियार है।
2 .हारोप (हार्पी): इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज द्वारा बनाया गया यह ड्रोन फायर-एंड-फॉरगेट कैटेगरी में आता है। भारत ने इसका इस्तेमाल पाकिस्तान के लाहौर में एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह करने में किया था। इसमें एंटी रेडिएशन सीकर और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर लगे होते हैं जो इसे सटीक हमला और निगरानी में सक्षम बनाते हैं। इसकी रेंज 500 से 1000 किमी है और यह खुद को टारगेट से टकराकर नष्ट कर लेता है।
सर्चर MK-I और MK-II: पर्वतीय युद्ध के लिए आदर्श
भारतीय सेनाओं के पास सर्चर ड्रोन भी हैं जो खासतौर से हिमालयी इलाकों में मिशन के लिए उपयुक्त हैं। ये 16 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं और 18,500 फीट की ऊंचाई तक जा सकते हैं। भारत के इन ड्रोन शक्ति ने चीन और पाकिस्तान के होश उड़ा दिए हैं।
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