शौर्य मिसाइल: भारत की स्वदेशी हाइपरसोनिक शक्ति

नई दिल्ली, 17 मई 2025

भारत की रक्षा क्षमताओं को और अधिक मज़बूती प्रदान करने के उद्देश्य से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की गई शौर्य मिसाइल अब विश्वभर में चर्चा का विषय बन चुकी है। यह मिसाइल भारत की स्वदेशी तकनीक की एक उत्कृष्ट मिसाल है, जो न केवल देश की सामरिक शक्ति को बढ़ाती है, बल्कि इसे हाइपरसोनिक हथियारों की दौड़ में अग्रणी देशों की सूची में भी शामिल करती है।

हाइपरसोनिक श्रेणी में शामिल

शौर्य मिसाइल को हाइपरसोनिक मिसाइल के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह मिसाइल मैक 7.5 तक की रफ्तार यानी लगभग 9,200 किलोमीटर प्रति घंटा की गति प्राप्त कर सकती है, जो इसे बेहद तेज़ और दुश्मन की रडार पकड़ से बाहर ले जाती है। इतनी उच्च गति के कारण यह मिसाइल लक्ष्य तक पहुँचने से पहले दुश्मन के लिए प्रतिक्रिया का समय बेहद सीमित कर देती है।

तकनीकी विशेषताएँ

रेंज: 700 से 1,900 किलोमीटर तक

गति: मैक 7.5 (लगभग 9,200 किमी/घंटा)

वारहेड क्षमता: 200 से 1,000 किलोग्राम तक का पारंपरिक या परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम

प्रक्षेपण प्रणाली: कैनिस्टर-लॉन्च, जिससे इसकी तैनाती और संचालन अधिक तेज़ और सुरक्षित होता है

भारतीय सेना के लिए रणनीतिक बढ़त

DRDO द्वारा विशेष रूप से भारतीय सशस्त्र बलों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विकसित की गई इस मिसाइल को भूमि आधारित प्लेटफॉर्म से प्रक्षेपित किया जाता है। इसका कैनिस्टर-आधारित डिज़ाइन इसे कहीं भी तेज़ी से तैनात करने योग्य बनाता है।  शौर्य मिसाइल की तकनीकी श्रेष्ठता भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में लाकर खड़ा करती है, जो हाइपरसोनिक तकनीक में पारंगत हैं। यह मिसाइल न केवल भारत की रक्षा नीति को मजबूती देती है, बल्कि देश की आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।

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