राज्य सरकार के निर्देश पर गठित इन जांच टीमों में चिकित्सा विशेषज्ञ शामिल हैं जो विभिन्न जिलों में अचानक पहुंचकर आईसीयू और अन्य वार्डों की स्थिति का जायजा लेंगे। यदि किसी सामान्य मरीज को अनावश्यक रूप से आईसीयू में भर्ती किया गया या उसे जरूरत से ज्यादा और अनावश्यक दवाएं दी गईं, तो संबंधित अस्पताल की संबद्धता रद्द कर दी जाएगी। इतना ही नहीं, अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।
गड़बड़ी के कई मामले आए सामने
यूपी में हाल ही में की गई जांच में कई हैरान करने वाले मामले सामने आए हैं। कुछ निजी अस्पतालों ने उन मरीजों के नाम पर आईसीयू का बिल भेजा, जिन्हें कभी आईसीयू में भर्ती ही नहीं किया गया था। वहीं कई मरीजों को एक साथ कई मल्टीविटामिन और अनावश्यक दवाएं दी गईं, जो चिकित्सकीय दृष्टि से बिल्कुल गैरजरूरी थीं।
जांच का नया ढांचा तैयार
राज्य सरकार ने अब मंडल स्तर पर विशेष टीमें गठित की हैं जिन्हें कुछ ही घंटे पहले अस्पतालों के नाम और भर्ती मरीजों की जानकारी दी जाएगी। ये टीमें तत्काल मौके पर पहुंच कर पूरे मामले की जांच करेंगी और रिपोर्ट के आधार पर बिलों का भुगतान किया जाएगा।
5 लाख तक मुफ्त इलाज
राज्य में करीब 8 करोड़ लोग आयुष्मान योजना से लाभान्वित हो रहे हैं, जबकि 15 लाख राज्य कर्मचारी पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना के तहत आते हैं। इन दोनों योजनाओं के अंतर्गत 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जाता है।
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