आपको बता दें की इस सफलता के साथ भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास इसतरह के अत्याधुनिक लेज़र हथियार प्रणाली है। अब तक यह तकनीक केवल अमेरिका, चीन, इजरायल और रूस के पास ही मौजूद थी।
चेस (CHESS) ने दी उड़ान
इस हाई-टेक सिस्टम को DRDO की हाई-एनर्जी सिस्टम्स प्रयोगशाला CHESS (Centre for High Energy Systems and Sciences) ने डिजाइन और विकसित किया है। इसके निर्माण में LRDE (Electronics & Radar Development Establishment), IRDE (Instruments Research & Development Establishment), DLRL (Defence Electronics Research Laboratory) के अलावा देश के प्रमुख तकनीकी संस्थान और निजी इंडस्ट्रीज़ ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
DEW Mk-II (A): स्पीड ऑफ लाइट से हमला
DEW Mk-II (A) में अत्याधुनिक Electro-Optic (EO) सिस्टम और इनबिल्ट रडार लगा है, जो किसी भी लक्ष्य का तेजी से पता लगाकर उस पर प्रकाश की गति (Speed of Light) से हमला करता है। यह हथियार लेज़र बीम के ज़रिए ड्रोन को गिरा सकता है, निगरानी एंटीना को जला सकता है और दुश्मन के सेंसर को ‘ब्लाइंड’ कर सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह लेज़र बीम किसी मिसाइल या वारहेड को निशाना बनाती है, तो वह पलक झपकते ही निष्क्रिय या नष्ट हो सकता है। DEW Mk-II (A) का परीक्षण अपने पूरे स्पेक्ट्रम में सफल रहा है, जिससे इसकी युद्धक्षमता पर मुहर लग चुकी है।
चीन में हलचल, भारत की क्षमता पर दुनिया की नजर
भारत की यह सफलता न केवल रणनीतिक दृष्टि से अहम है, बल्कि यह दुनिया को भी यह संदेश देती है कि भारत अब "हाई-एनर्जी वेपन सिस्टम" की दौड़ में पीछे नहीं है। खासकर चीन के लिए यह एक चौंकाने वाली खबर है, क्योंकि वह लंबे समय से लेज़र टेक्नोलॉजी में बढ़त बनाए रखने की कोशिश कर रहा था।
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