भारत का Rustom-II ड्रोन: एक रणनीतिक गेम चेंजर!

नई दिल्ली। रुस्तम-II भारत के रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' पहल का बेहतरीन उदाहरण है। यह दिखाता है कि भारत अब केवल रक्षा उपकरणों का आयातक नहीं, बल्कि उनका निर्माण और निर्यातक भी बन रहा है। यह ड्रोन न केवल देश की सीमाओं की निगरानी में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा, बल्कि भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति को भी मजबूती दे रहा हैं।

क्या है रुस्तम-II?

रुस्तम-II, जिसे TAPAS (Tactical Airborne Platform for Aerial Surveillance) के नाम से भी जाना जाता है, एक मध्यम ऊंचाई पर लंबी अवधि तक उड़ान भरने वाला स्वदेशी ड्रोन है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है और यह निगरानी, रेकी (Reconnaissance) और सामरिक अभियानों के लिए बेहद उपयोगी है।

मुख्य विशेषताएं जो बनाती हैं इसे खास:

लंबी उड़ान क्षमता: रुस्तम-II एक बार उड़ान भरने के बाद 18 घंटे से अधिक समय तक आसमान में रह सकता है, जिससे यह लगातार निगरानी और मिशन संचालन में सक्षम होता है।

उड़ान ऊंचाई: यह ड्रोन 28,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है, जो इसे दुश्मनों की नजर से दूर और ऑपरेशनल रूप से ज्यादा प्रभावी बनाता है।

तेज गति: इसकी अधिकतम गति 225 किमी/घंटा है, जो इसे तेजी से टारगेट तक पहुंचने और प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाती है।

स्वदेशी इंजन: इसमें भारत की ही VRDE (Vehicle Research and Development Establishment) द्वारा विकसित स्वदेशी इंजन लगाया गया है, जो आत्मनिर्भर भारत मिशन की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।

24x7 निगरानी: यह ड्रोन दिन और रात दोनों समय में निगरानी करने की क्षमता रखता है, जिससे सीमाओं पर चौबीसों घंटे सतर्कता बरती जा सकती है।

भार उठाने की क्षमता: यह ड्रोन 350 किलोग्राम तक का भार उठाकर विभिन्न प्रकार के सेंसर, कैमरे और हथियार प्रणालियों के साथ मिशन पर जा सकता है।

स्वचालित टेकऑफ और लैंडिंग: रुस्तम-II पूरी तरह स्वचालित टेकऑफ और लैंडिंग प्रणाली से लैस है, जिससे ऑपरेशन के दौरान मानवीय त्रुटियों की संभावना कम हो जाती है।

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