यह परिवर्तन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप है, जिनका स्पष्ट फोकस चयन प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने पर है। अब स्क्रीनिंग केवल पात्रता तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि प्रारंभिक परीक्षा के माध्यम से प्रतिभागियों की योग्यता को प्रमाणित किया जाएगा। इससे केवल वही अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार तक पहुंच पाएंगे, जिनकी बुनियादी योग्यता ठोस होगी।
नए महाविद्यालय, नई संभावनाएं
अब तक प्रदेश में 171 राजकीय महाविद्यालय संचालित हो रहे थे, लेकिन हाल ही में 71 नए महाविद्यालयों की स्थापना की गई है। इनमें से 23 को विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित संघटक महाविद्यालय के रूप में और शेष 46 को पूर्णतः राजकीय महाविद्यालयों के रूप में मान्यता दी गई है। इसके साथ ही अब उत्तर प्रदेश में कुल 217 राजकीय महाविद्यालय हो चुके हैं।
इन 46 नए महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय ने 690 नए पदों का अधियाचन शासन को भेजा है। इससे पहले भेजे गए 562 पदों को मिलाकर कुल 1252 पदों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। यह भर्ती उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के माध्यम से की जाएगी।
शिक्षा में गुणात्मक सुधार की दिशा में कदम
यह कदम न केवल राज्य के उच्च शिक्षा संस्थानों की शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ाने वाला है, बल्कि यह हजारों शिक्षित युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर भी है। नई चयन प्रक्रिया के ज़रिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि केवल योग्य, सक्षम और विषय-विशेषज्ञ उम्मीदवार ही अध्यापन के क्षेत्र में प्रवेश करें। इस भर्ती को लेकर जल्द ही विज्ञापन जारी होगा।
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