INS Chakra III में देरी, लेकिन रणनीति जारी
2019 में भारत और रूस के बीच हुए समझौते के तहत भारत को 2025 तक INS Chakra III (Akula क्लास पनडुब्बी) मिलने वाली थी। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध और उस पर लगे वैश्विक प्रतिबंधों के चलते यह डिलीवरी अब 2028 तक टल गई है। INS Chakra II की वापसी के बाद से ही भारतीय नौसेना के पास एक सक्रिय परमाणु पनडुब्बी की कमी बनी हुई है, जिसे अब रूस ने भरने की पेशकश की है।
रूस की नई पेशकश क्यों है खास?
रूस की ओर से एक और Akula क्लास पनडुब्बी की पेशकश केवल एक 'Gap-Filler' नहीं है, बल्कि यह भारत-रूस के दशकों पुराने भरोसे को और मजबूत करता है। भारत जिस तरह से स्वदेशी SSN परियोजनाओं पर काम कर रहा है (Project 77), ऐसे में एक और रूसी पनडुब्बी भारतीय नौसैनिकों के लिए न केवल एक प्रशिक्षण मंच होगी, बल्कि वह समुद्री संचालन में एक अहम रणनीतिक ताकत भी साबित होगी।
Akula क्लास: क्यों कहा जाता है ‘साइलेंट किलर’?
Akula क्लास पनडुब्बियां वैश्विक स्तर पर अपनी घातक क्षमताओं और अदृश्य संचालन शैली के लिए जानी जाती हैं। ये पनडुब्बियां परमाणु रिएक्टर से संचालित होती हैं, जिससे इन्हें सतह पर आए बिना महीनों तक पानी के भीतर तैनात किया जा सकता है। इनकी खास ‘डबल हल’ संरचना और शोर-रहित तकनीक इन्हें ‘साइलेंट हंटर’ बनाती है — जिसका पता लगाना बेहद मुश्किल होता है। ये 1,500 किमी तक मार करने वाली Kalibr क्रूज मिसाइलों से भी लैस होती हैं।
हिंद महासागर में बढ़ेगा भारत का दबदबा
दरअसल चीन जिस तरह से हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी नौसैनिक ताकत बढ़ा रहा है, भारत के लिए समुद्री संतुलन बनाए रखना न केवल आवश्यक, बल्कि अनिवार्य हो गया है। नई Akula क्लास पनडुब्बी भारत की अंडरवॉटर स्ट्राइक कैपेबिलिटी को कई गुना बढ़ा देगी। यह पनडुब्बी ना केवल निगरानी और आक्रामक ऑपरेशनों में उपयोगी होगी, बल्कि यह चीन की किसी भी आक्रामक रणनीति का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम होगी।
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