बता दें की राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे.एन. तिवारी ने 22 मई को मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद से हुई मुलाकात के बाद इस अहम जानकारी को साझा किया। तिवारी ने बताया कि वित्त, कार्मिक और न्याय विभाग जैसे परामर्शी विभागों ने भी मानदेय भुगतान की पूर्व व्यवस्था को यथावत बनाए रखने की सिफारिश की है।
हालांकि, परिषद की मांग है कि कर्मचारियों के हितों की रक्षा और सेवा प्रदाता एजेंसियों द्वारा किए जाने वाले शोषण को रोकने के लिए भुगतान की प्रक्रिया सीधे निगम के माध्यम से की जाए। परिषद की महामंत्री अरुणा शुक्ला ने बताया कि प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने उनकी सभी मांगों और सुझावों पर सकारात्मक निर्णय का भरोसा दिया है।
निगम गठन से कर्मचारियों को मिल सकती है बड़ी राहत
सूत्रों के अनुसार, आउटसोर्स कर्मचारी निगम की स्थापना का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को एक स्थायी संरचना और सुरक्षा प्रदान करना है। अब तक आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों को समय पर वेतन न मिलना, कटौती की शिकायतें और अन्य शोषण की घटनाएं आम रही हैं। निगम के गठन से इन समस्याओं पर अंकुश लगने की उम्मीद है।
क्या बदलेगा नए सिस्टम में?
कर्मचारियों को मिलेगा कम से कम ₹18,000 मासिक मानदेय
सेवा प्रदाता एजेंसियों के स्थान पर निगम करेगा भुगतान
कर्मचारियों को मिलेगा अधिक पारदर्शी और स्थिर भुगतान सिस्टम
एजेंसियों के शोषण से मिल सकती है राहत।
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