इन इकाइयों को दो चरणों में स्वीकृति दी गई है। 420 इकाइयों को स्टेज-1 की मंजूरी मिली है, जिसमें उत्पादन योजना, स्थान निर्धारण, पर्यावरणीय अध्ययन और बाजार रणनीति तैयार की जाती है। वहीं, 244 इकाइयों को स्टेज-2 की मंजूरी दी गई है, जिसमें वित्तीय अनुमोदन, सरकारी अनुदान और कंपनी निवेश की रूपरेखा शामिल होती है।
आपको बता दें की इन फैक्ट्रियों की स्थापना टेक्सटाइल, लेदर, प्लास्टिक, खाद्य प्रसंस्करण और मशीनरी निर्माण जैसे विविध क्षेत्रों में की जाएगी, जिससे बिहार की औद्योगिक संरचना को मजबूती मिलेगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।
तकनीकी सहयोग से मिलेगी नई रफ्तार
उद्योगों को मंजूरी देने के साथ-साथ राज्य सरकार तकनीकी और प्रबंधन सहयोग पर भी जोर दे रही है। इसके तहत पांच नए एक्सटेंशन सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। अभी पटना में एक सेंटर कार्यरत है, जबकि जल्द ही मुजफ्फरपुर, राजगीर, पूर्णिया और सारण में भी सेंटर शुरू होंगे।
इन एक्सटेंशन सेंटर्स के माध्यम से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (MSME) को सलाह, प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे स्थानीय उद्यमियों को अपना व्यवसाय शुरू करने और बढ़ाने में महत्वपूर्ण सहायता मिलेगी।
युवाओं के लिए नया अवसर
राज्य सरकार का यह कदम न केवल औद्योगिक आधार को मजबूत करेगा, बल्कि बेरोजगारी की चुनौती से जूझ रहे युवाओं को भी बड़ी राहत देगा। अनुमान है कि इन इकाइयों के चालू होने पर हर जिले में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और पलायन की समस्या में भी कमी आएगी।
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