मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को पशुपालन एवं दुग्ध विकास विभाग की समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस योजना से न सिर्फ गोसेवा का पुण्य प्राप्त होगा, बल्कि दूध की उपलब्धता से पोषण स्तर में भी सुधार आएगा। इसके साथ ही यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोज़गार को भी बढ़ावा देगी।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह भी निर्देशित किया कि निराश्रित गोवंश संरक्षण केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठोस प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि इन केंद्रों में तैयार गोबर से बने प्राकृतिक पेंट का उपयोग सरकारी भवनों में किया जाए। इसके अलावा, उन्होंने प्राकृतिक पेंट तैयार करने वाले प्लांट्स की संख्या बढ़ाने के भी निर्देश दिए।
पोषण, रोजगार और पर्यावरण के तीन मोर्चों पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना केवल एक सामाजिक कल्याण योजना नहीं है, बल्कि यह पोषण, ग्रामीण आजीविका और पर्यावरण संरक्षण को एक साथ जोड़ने वाली एक समग्र पहल है। दूध से बच्चों और महिलाओं को बेहतर पोषण मिलेगा, वहीं अतिरिक्त दूध बेचकर परिवार आय अर्जित कर सकेंगे।
इसके साथ ही गोबर से बनी प्राकृतिक पेंट को बढ़ावा देना, एक हरित विकल्प को प्रोत्साहित करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। सरकार का इरादा इस योजना को प्रदेश भर में चरणबद्ध तरीके से लागू करने का है, और आवश्यकता अनुसार इसे अन्य पशुधन से भी जोड़ने पर विचार किया जा रहा है।
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