राज्य सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत वित्तीय वर्ष 2025-26 से की जाएगी, जिसके लिए कुल 10 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। खासतौर पर उन ग्राम पंचायतों को इससे सीधा लाभ मिलेगा, जो कम जनसंख्या के चलते अब तक वित्तीय संकट का सामना कर रही थीं।
पंचायत कमाएगी 10 हजार, सरकार देगी 50 हजार
इस योजना के तहत यदि कोई ग्राम पंचायत अपने संसाधनों से 10 हजार रुपये की आय अर्जित करती है, तो उसे इसके बदले सरकार से 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि प्राप्त होगी। इसी तरह एक लाख रुपये की आय करने वाली पंचायत को सरकार से पांच लाख रुपये का प्रोत्साहन मिलेगा। इस पहल का मकसद पंचायतों को अपनी आय के स्रोत तलाशने के लिए प्रेरित करना है, जिससे वे शासन पर निर्भरता कम करके आत्मनिर्भर बन सकें।
कम आबादी वाली पंचायतों को मिलेगी राहत
गौरतलब है कि अब तक 1500 तक की जनसंख्या वाली ग्राम पंचायतों को सीमित बजट मिलने के कारण कई जरूरी कामों में बाधा आ रही थी। पंचायतों के पास न तो ग्राम प्रधानों का मानदेय देने के लिए पर्याप्त धन था, और न ही पंचायत सहायकों की तनख्वाह या सार्वजनिक सुविधाओं जैसे सामुदायिक शौचालयों की मरम्मत के लिए। अब नई योजना इन समस्याओं को दूर करने में मदद करेगी। इसके अंतर्गत पंचायतों को मिलने वाली सहायता जनसंख्या और अनुसूचित जाति/जनजाति की आबादी के अनुपात में वितरित की जाएगी।
आय के नए स्रोत होंगे प्रोत्साहित
राज्य सरकार ने पंचायतों को मछली पालन, हाट बाजारों का आयोजन, पंचायत भवनों और अन्य संसाधनों के व्यावसायिक उपयोग जैसे तरीकों से आय बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया है। सरकार का मानना है कि इस योजना से न केवल पंचायतों की वित्तीय स्थिति सुधरेगी, बल्कि ग्रामीण इलाकों में विकास कार्यों को भी नई गति मिलेगी।
कैबिनेट ने दी मंजूरी
प्रदेश कैबिनेट ने इस योजना को हरी झंडी दे दी है। योजना के तहत सभी पात्र पंचायतों को पात्रता के अनुसार लाभ पहुंचाया जाएगा। अब पंचायतें अपनी आय बढ़ाकर न सिर्फ सरकारी सहायता पा सकेंगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों को भी अधिक प्रभावी तरीके से अंजाम दे सकेंगी।
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