शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने कहा कि विद्यालय अवधि में कोचिंग संस्थान चलाना गैरकानूनी है, और अगर उसमें सरकारी स्कूलों के छात्र मौजूद पाए गए, तो संबंधित कोचिंग सेंटर को बंद कर दिया जाएगा। इस संबंध में राज्य के सभी जिलाधिकारियों को भी निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
अभिभावकों से की अपील: बच्चों को स्कूल भेजें
डॉ. सिद्धार्थ ने अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों को नियमित रूप से विद्यालय भेजें। उन्होंने कहा कि यदि कोई छात्र स्कूल न आकर कोचिंग जाता है, तो प्रधानाचार्य उस छात्र के अभिभावकों को नोटिस जारी करेंगे। समय रहते सुधार नहीं होने पर छात्र का नाम स्कूल से काट दिया जाएगा।
“कोचिंग सेंटरों में नहीं होती गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई”
अपर मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि यह महज एक भ्रांति है कि कोचिंग सेंटरों में बेहतर शिक्षा मिलती है। उन्होंने कहा, “सरकारी शिक्षक प्रतियोगिता परीक्षा पास कर आए हैं। वे पूरी योग्यता रखते हैं। कोचिंग में केवल मशीनी पढ़ाई होती है, जबकि स्कूलों में समग्र शिक्षा मिलती है।” उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने किसी कोचिंग संस्थान की मदद लिए बिना ही IIT, IIM और UPSC जैसी परीक्षाएं पास कीं।
पैरेंट्स मीटिंग अनिवार्य, अनुपस्थिति पर चेतावनी
शिक्षा विभाग ने यह भी कहा है कि विद्यालयों में आयोजित होने वाली पेरेंट्स मीटिंग में अभिभावकों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। अनुपस्थिति पर उन्हें चेतावनी दी जाएगी। विद्यालय प्रधानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी अभिभावकों को मीटिंग के लिए आमंत्रित किया जाए और अनुपस्थित रहने वालों को नोटिस जारी किया जाए।
स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की पहल
इस कदम को शिक्षा विभाग की एक बड़ी पहल माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना और बच्चों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करना है। विभाग का मानना है कि जब बच्चे नियमित स्कूल आएंगे, तो न केवल उनकी पढ़ाई सुधरेगी, बल्कि स्कूलों की साख भी बढ़ेगी।
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