स्पेस में सुपरपॉवर बनता भारत: चीन की उड़ी नींद!

नई दिल्ली। 21वीं सदी में अंतरिक्ष केवल वैज्ञानिक अनुसंधान का केंद्र नहीं रहा, बल्कि यह एक रणनीतिक युद्धक्षेत्र बन चुका है — जहां तकनीक, ताकत और आत्मनिर्भरता का असली इम्तिहान होता है। भारत, जो कभी उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए विदेशी देशों पर निर्भर रहता था, आज खुद एक अंतरिक्ष महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है। और यही वह परिवर्तन है जिससे चीन जैसे देश की नींद उड़ गई है।

1. चंद्रयान-3 की सफलता:

2023 में चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता ने भारत को चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला पहला देश बना दिया। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा पर उतरे थे, लेकिन दक्षिणी ध्रुव पर भारत का लैंडर "विक्रम" सफलतापूर्वक उतरा — एक ऐसी उपलब्धि, जिसे चीन अब तक नहीं हासिल कर सका।

2. Aditya-L1: सूर्य की ओर बढ़ता भारत

भारत का पहला सौर मिशन Aditya-L1, 2023 में लॉन्च हुआ और यह सूर्य के बाहरी वायुमंडल (Corona) का अध्ययन कर रहा है। यह मिशन वैज्ञानिकों को सौर तूफानों और उनकी पृथ्वी पर होने वाली संभावित प्रभावों को समझने में मदद करेगा। इससे भारत स्पेस वेदर की भविष्यवाणी में अग्रणी भूमिका निभाने लगेगा। चीन ने भी सौर अध्ययन के प्रयास किए हैं, लेकिन Aditya-L1 जैसी कक्षा और आत्मनिर्भर तकनीक उसे भी हैरान कर रही है।

3. Gaganyaan मिशन: मानव को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी

ISRO का महत्वाकांक्षी Gaganyaan मिशन, जिसमें 3 भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा, भारत को उन चुनिंदा देशों की कतार में खड़ा कर देगा जो मानव अंतरिक्ष उड़ान में सक्षम हैं — जैसे अमेरिका, रूस और चीन। भारत की यह उपलब्धि न केवल तकनीकी रूप से अहम है, बल्कि यह रणनीतिक क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को और मज़बूत करेगी।

4. अंतरिक्ष में रक्षा तैयारियाँ: ASAT मिसाइल से चीन को चेतावनी

बता दें की साल 2019 में भारत ने 'मिशन शक्ति' के तहत सफलतापूर्वक एक सैटेलाइट को अंतरिक्ष में मार गिराया था। यह Anti-Satellite (ASAT) परीक्षण था — जो दिखाता है कि भारत अंतरिक्ष में भी दुश्मनों के मंसूबों को कुचलने में सक्षम है। चीन ने 2007 में ऐसा परीक्षण किया था, लेकिन भारत का साफ संदेश था: हम पीछे नहीं हैं।

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