रुद्रम श्रृंखला: दुश्मन को कर देगा जाम
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित यह रुद्रम श्रृंखला एक हवा से सतह पर मार करने वाली उन्नत मिसाइल प्रणाली है, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से दुश्मन के हवाई रक्षा नेटवर्क और रडार सिस्टम को नष्ट करना है। ये दुश्मनों के सारे इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को जाम कर देता हैं।
रुद्रम-2: रफ्तार, रेंज और सटीकता का अद्वितीय मेल
रुद्रम-2, जो इस श्रृंखला का मध्यवर्ती लेकिन घातक संस्करण है, 300 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है। यह ठोस ईंधन से संचालित वायु-प्रक्षेपित मिसाइल है जो लॉक-ऑन-बिफोर-लॉन्च (LOBL) और लॉक-ऑन-आफ्टर-लॉन्च (LOAL) दोनों मोड्स में ऑपरेशन करने में सक्षम है।
इसमें 200 किलोग्राम का मॉड्यूलर पेलोड होता है, जिसे मिशन की आवश्यकताओं के अनुसार बदला जा सकता है। इसकी सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस क्षमताएं इसे 100 किलोमीटर से अधिक दूरी से भी दुश्मन के रेडियो और रडार संकेतों का पता लगाने में सक्षम बनाती हैं। जिससे यह अत्यंत स्थितिजन्य जागरूकता और लक्ष्य पर उच्च सटीकता सुनिश्चित करती है।
रुद्रम-3: भारतीय मिसाइल इंजीनियरिंग का शिखर
रुद्रम श्रृंखला का सबसे उन्नत और शक्तिशाली संस्करण रुद्रम-3 है, जिसकी रेंज लगभग 550 किलोमीटर तक है। यह मिसाइल हाइपरसोनिक गति बनाए रखते हुए टारगेट तक पहुंच सकती है, जिससे इसे रोक पाना अत्यंत कठिन हो जाता है। यह दो-चरणीय डिज़ाइन के साथ आती है, जिसमें बूस्टर चरण और डुअल पल्स मोटर शामिल हैं। इसका कुल वज़न 600 से 700 किलोग्राम तक होता है और इसमें 200 किलोग्राम का घातक वारहेड फिट किया गया है।
16 नियंत्रण सतहें, जो इसके मध्य खंड और पूंछ में स्थित हैं, इस मिसाइल को असाधारण गतिशीलता प्रदान करती हैं। स्थिर मध्य विंग डिजाइन और टर्मिनल मार्गदर्शन क्षमताएं इसे चलते-फिरते, पैंतरेबाज़ी करते लक्ष्यों को भी निशाना बनाने में सक्षम बनाती हैं।
भारत की रणनीतिक तस्वीर में रुद्रम की भूमिका
रुद्रम श्रृंखला केवल एक मिसाइल प्रणाली नहीं है, बल्कि यह भारत की रणनीतिक सोच और रक्षा उत्पादन क्षमताओं का प्रतीक है। इसके विकास से यह साफ संकेत मिलता है कि भारत अब केवल आयातक नहीं, बल्कि एक स्वदेशी रक्षा महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मिसाइल प्रणाली के संचालन से भारत को युद्ध की स्थिति में बढ़त मिलेगी।
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