क्या है 'नाग MK-2'?
'नाग MK-2' एक “फायर एंड फॉरगेट” एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है, यानी इसे एक बार दागने के बाद इसे किसी और निर्देश की ज़रूरत नहीं होती। यह मिसाइल अपने टारगेट को खुद खोजकर, सटीक वार करती है। दिन हो या रात, किसी भी मौसम में इसकी मारक क्षमता प्रभावशाली बनी रहती है।
मिसाइल में इमेजिंग इंफ्रारेड (IIR) सीकर लगाया गया है, जो टैंक जैसे भारी बख्तरबंद वाहनों को आसानी से पहचानकर उन्हें नष्ट करने में सक्षम है। इसकी रेंज लगभग 4 से 7 किलोमीटर तक मानी जा रही है, और यह अत्यधिक सटीकता के साथ बंकरों, दुश्मन के कमांड पोस्ट और टैंकों को तबाह कर सकती है।
क्यों बढ़ी है पाक-चीन की चिंता?
भारत की सीमाएं जिन दो देशों से सबसे अधिक विवादों में रहती हैं – पाकिस्तान और चीन – दोनों की सेनाएं अब नाग MK-2 की तैनाती से विशेष रूप से सतर्क हो गई हैं। पाकिस्तान के रक्षा विश्लेषकों ने इस मिसाइल की क्षमताओं पर विशेष ध्यान दिया है क्योंकि यह LOC और सीमा पार स्थित बख्तरबंद गतिविधियों के लिए एक गंभीर खतरा बनकर उभरी है।
वहीं चीन के लिए भी यह मिसाइल एक रणनीतिक चुनौती पेश करती है, खासकर लद्दाख और अरुणाचल जैसे संवेदनशील इलाकों में, जहां टैंक और पैदल सेना की तैनाती आम बात है। नाग MK-2 की तैनाती से भारतीय सेना किसी भी परिस्थिति के लिए पूरी तरह तैयार होगी।
स्वदेशी तकनीक, वैश्विक प्रभाव
नाग MK-2 मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पूरी तरह स्वदेशी है और इसे DRDO (Defence Research and Development Organisation) द्वारा विकसित किया गया है। इससे न सिर्फ विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम होती है, बल्कि यह भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में भी एक मजबूत प्रतियोगी के रूप में पेश करता है।
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