बैठक में यह भी तय किया गया कि भविष्य के सर्वेक्षणों में नदी के बीच (मध्य धाराओं) या दियारा क्षेत्रों में स्थित बालू घाटों को शामिल नहीं किया जाएगा। इस फैसले को रेत खनन को नियंत्रित करने और पर्यावरणीय मानकों का पालन सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा और ठोस प्रयास माना जा रहा है।
पर्यावरण मंजूरी में देरी पर चिंता
बैठक में मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने नीलामी के बाद पर्यावरण मंजूरी में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए एक समर्पित निगरानी इकाई (Monitoring Unit) के गठन का प्रस्ताव भी रखा। इस इकाई का उद्देश्य बालू खनन संबंधी प्रक्रियाओं की निगरानी और मंजूरी प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा करना होगा।
जिला मजिस्ट्रेटों की भूमिका
मंत्री ने राज्य के सभी जिला मजिस्ट्रेटों से अपील की कि वे बालू घाटों के बंदोबस्त (सेटेलमेंट) को भविष्य की बैठकों में प्राथमिकता के रूप में लें। इससे न केवल खनन गतिविधियों को नियमित किया जा सकेगा, बल्कि राजस्व संग्रह में भी वृद्धि होगी।
विभागीय समन्वय और निरीक्षण
खान एवं भूविज्ञान विभाग, पर्यावरण एवं वन विभाग और पर्यटन विभाग के अधिकारियों को राज्य भर में चालू पत्थर पट्टों का संयुक्त निरीक्षण करने के निर्देश भी दिए गए हैं। इसके तहत संबंधित अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी करने का आदेश दिया गया है।
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