1. S-500: भविष्य की रक्षा की ढाल
S-500 'Prometey' को दुनिया की सबसे आधुनिक एयर डिफेंस प्रणालियों में गिना जा रहा है। यह 600 किमी तक की रेंज में दुश्मन के एयरक्राफ्ट, मिसाइल, और सैटेलाइट तक को टारगेट कर सकता है। इसकी खासियत यह है कि यह हाइपरसोनिक और स्टील्थ टारगेट को भी डिटेक्ट कर सकता है।
2. 6वीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स: हमला अब अदृश्य होगा
अमेरिका (NGAD), यूरोप (FCAS), और अन्य देश 6th-gen फाइटर जेट्स विकसित कर रहे हैं। ये जेट्स अत्यधिक स्टील्थ, AI नियंत्रण, ड्रोन के साथ टीमिंग और हाइपरसोनिक हथियारों से लैस होंगे। इनका मुख्य उद्देश्य है दुश्मन के डिफेंस को भेदना — और वो भी बिना देखे गए।
3. तकनीक बनाम रणनीति: कौन होगा ज्यादा स्मार्ट?
S-500 की टेक्नोलॉजी एक जगह स्थापित होकर बहुस्तरीय सुरक्षा देती है, जबकि 6वीं पीढ़ी के जेट्स गति, चपलता और डेटा-शेयरिंग में अग्रणी होंगे। यानी एक तरफ ‘स्थिर रक्षा’ है, दूसरी ओर ‘गतिशील आक्रमण’। इसमें दोनों एक दूसरे पर भारी रहेंगे।
4. एंटी-स्टील्थ बनाम सुपर-स्टील्थ
S-500 को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह स्टील्थ तकनीक वाले विमानों को पकड़ सके। लेकिन 6th-gen जेट्स की स्टील्थ तकनीक इससे भी एक कदम आगे है — जिसमें सेंसर-अवॉइडेंस, इलेक्ट्रॉनिक जामिंग और AI आधारित टारगेट मिसलीडिंग शामिल है।
5. स्पेस और साइबर युद्ध का प्रवेश
दोनों प्रणालियाँ अब पारंपरिक युद्ध से आगे बढ़कर स्पेस और साइबर डोमेन में प्रवेश कर रही हैं। S-500 लो-ऑर्बिट सैटेलाइट्स को निशाना बना सकता है, जबकि 6th-gen जेट्स साइबर अटैक और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर से डिफेंस को ही जाम कर सकते हैं।
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