1. राष्ट्र सुरक्षा और तकनीकी गोपनीयता
F-22 और B-2 अत्यधिक गोपनीय तकनीक से लैस हैं। इन विमानों की रडार-चोरी (stealth) क्षमता, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियाँ और संवेदी सिस्टम अमेरिका की सैन्य श्रेष्ठता का आधार हैं। यदि यह तकनीक किसी अन्य देश के हाथ लग जाए, तो अमेरिका की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
2. कानूनी प्रतिबंध (Export Ban)
F-22 Raptor पर 1998 में अमेरिकी कांग्रेस ने निर्यात प्रतिबंध (export ban) लगा दिया था। इसके पीछे उद्देश्य यह था कि यह विमान केवल अमेरिकी वायुसेना के लिए हो और किसी भी विदेशी शक्ति को इसकी उन्नत क्षमताओं की जानकारी न मिले।
3. रणनीतिक बढ़त बनाए रखना
अमेरिका चाहता है कि उसकी वायु सेना के पास ऐसी क्षमताएँ हों जो किसी भी अन्य देश से बेहतर हों। यदि वह F-22 या B-2 जैसे विमान दूसरे देशों को बेचता है, तो उसकी यह रणनीतिक बढ़त कम हो सकती है। इसलिए इसे किसी को नहीं बेचता।
4. उन्नत तकनीक की नकल का डर
यदि यह विमान किसी अन्य देश को दिए जाएँ, तो वहाँ की रक्षा एजेंसियाँ उनकी तकनीक की रिवर्स इंजीनियरिंग कर सकती हैं। इससे अमेरिका की रक्षा कंपनियों के लिए बना रहस्य उजागर हो सकता है और विरोधी देश इस तकनीक को कॉपी कर सकते हैं।
5. बहुत महंगे और सीमित उत्पादन
B-2 बॉम्बर की कीमत लगभग 2 बिलियन डॉलर प्रति यूनिट है, और केवल 21 बनाए गए थे। F-22 की उत्पादन लाइन भी 2012 में बंद कर दी गई थी। सीमित संख्या और उच्च लागत के कारण इनका निर्यात करना व्यावहारिक भी नहीं है।
6. वैकल्पिक विमान उपलब्ध कराना
अमेरिका मित्र देशों को सुरक्षा सहयोग देने के लिए अन्य उन्नत लेकिन कम संवेदनशील विमान प्रदान करता है, जैसे कि F-35 Lightning II। F-35 में भी स्टील्थ क्षमताएँ हैं, लेकिन इसे इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि वह निर्यात के लिए सुरक्षित हो।
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