यूपी के उनाव से एक बड़ी खबर हैं। जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में आउटसोर्सिंग के माध्यम से काम करने वाले कर्मचारियों को पिछले चार महीनों से मानदेय नहीं मिला है। करीब 32 कर्मचारी—जिनमें सहायक लेखाकार, ब्लॉक एमआईएस, गुणवत्ता अधिकारी और कंप्यूटर ऑपरेटर शामिल हैं—10 से 20 हजार रुपये प्रतिमाह की मामूली आय पर काम कर रहे हैं। लेकिन बीते फरवरी महीने से अब तक इन कर्मचारियों को एक भी रुपये का भुगतान नहीं हुआ है।
इस देरी के कारण इन कर्मचारियों को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। अधिकांश कर्मचारी अपनी रोजमर्रा की जरूरतें भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं। कुछ के बच्चों की स्कूल फीस तक रुक गई है, तो कुछ को किराया देने में भी मुश्किलें हो रही हैं।
बजट मौजूद, फिर भी नहीं मिल रहा वेतन
हालांकि विभाग के पास आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के मानदेय के लिए पर्याप्त बजट है, फिर भी उन्हें समय से भुगतान नहीं किया जा रहा है। यह सीधा-सीधा विभागीय लापरवाही का मामला माना जा रहा है। शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि हर महीने की 5 तारीख तक आउटसोर्सिंग सेवा प्रदाता कंपनी को बिल भेजा जाए, ताकि कर्मचारियों को समय से मानदेय मिल सके। मगर बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात जिम्मेदार अफसरों की सुस्ती और अनदेखी के चलते यह प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं हो रही है।
जिम्मेदारी से भागते अधिकारी
इस मुद्दे को लेकर जब सहायक वित्त लेखा अधिकारी से सवाल किया गया, तो उन्होंने बताया कि फरवरी के लिए बजट की मांग की गई है और मार्च, अप्रैल व मई महीने का मानदेय जल्द ही कर्मचारियों को दे दिया जाएगा। उन्होंने यह भी माना कि ईपीएफ और ईएसआई की कटौती समय पर न होने के कारण भुगतान में देरी हुई है।
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