K-6 मिसाइल: प्रमुख तथ्य और तकनीकी विशेषताएं
K-6 मिसाइल भारत की अगली पीढ़ी की SLBM है, जिसे विशेष रूप से एस-5 श्रेणी की परमाणु ऊर्जा चालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों (SSBN) के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह मिसाइल मौजूदा K-3, K-4, और K-5 मिसाइलों के बाद भारत की सबसे लंबी रेंज वाली SLBM होगी, जो रणनीतिक संतुलन को मजबूती प्रदान करेगी।
1 .रेंज और रफ्तार: K-6 की रेंज लगभग 8,000 किलोमीटर है और यह हाइपरसोनिक गति (मैक 7.5 तक) तक पहुंच सकती है, जिससे दुश्मन के लिए इसे रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है।
2 .वारहेड क्षमता: यह मिसाइल परमाणु और पारंपरिक दोनों प्रकार के वारहेड ले जाने में सक्षम है, जिससे इसकी सैन्य उपयोगिता और भी व्यापक हो जाती है।
3 .MIRV तकनीक: K-6 में मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री वेहिकल्स (MIRV) क्षमता है, यानी एक ही मिसाइल से कई वारहेड्स अलग-अलग लक्ष्यों पर दागे जा सकते हैं। यह रणनीतिक वारफेयर में एक बड़ा बदलाव लेकर आता है और दुश्मन की रक्षा प्रणाली को चकमा देने में मदद करता है।
4 .रणनीतिक महत्व: हाइपरसोनिक गति और अत्यधिक अवरोधन क्षमता के कारण, K-6 मिसाइल दुश्मन की प्रतिक्रिया समय को कम करती है और भारत की द्वितीय-आक्रमण क्षमता को मजबूती से स्थापित करती है। इसका मतलब है कि भारत किसी भी परमाणु हमले के बाद भी प्रभावी जवाब देने में सक्षम होगा।
भारत की SLBM विकास यात्रा
भारत ने अपनी पनडुब्बी आधारित परमाणु मिसाइल क्षमता को क्रमशः K-3, K-4 और K-5 मिसाइलों के माध्यम से बढ़ाया है। K-3 की रेंज 1,000 से 2,000 किमी के बीच थी। K-4 ने रेंज को लगभग 3,500 किमी तक बढ़ाया। K-5 ने यह क्षमता 5,000 से 6,000 किमी तक पहुंचाई। अब K-6 मिसाइल के साथ यह सीमा लगभग 8,000 किलोमीटर से ऊपर जा रही है, जिससे भारत के रणनीतिक विकल्पों में भारी विस्तार होगा।
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