क्या है यह अभियान?
यह अभियान दरअसल एक जमीनी स्तर की पहल है, जिसमें विभाग की टीमें गांवों में जाकर किसानों को उनकी गन्ना फसल के सर्वे से जुड़ी जानकारी देंगी। किसानों को कुल 63 बिंदुओं की रिपोर्ट दिखाई जाएगी, जिनमें भूमि विवरण, गन्ना किस्म, बैंक खाता, मोबाइल नंबर, आधार, सट्टा विवरण, बेसिक कोटा आदि शामिल होंगे।
अगर किसान को किसी भी बिंदु पर आपत्ति है, तो वह मौके पर ही संबंधित दस्तावेजों के साथ सुधार के लिए आवेदन कर सकेगा। खास बात यह है कि आपत्तियों का समाधान उसी समय करने की व्यवस्था की गई है, जिससे किसानों को बार-बार चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
अब किसान खुद तय करेंगे अपनी फसल का भविष्य
यह पहल केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह किसानों को उनके अधिकारों और विकल्पों से जोड़ने का माध्यम बन रही है। किसान 30 सितंबर तक अपनी सदस्यता की पुष्टि कर सकते हैं और यदि वह अधिक उपज देना चाहते हैं तो इसके लिए भी आवेदन कर सकते हैं।
टेक्नोलॉजी के साथ तालमेल
किसानों को सर्वे शिविर की जानकारी पहले से ही SMS के जरिए दी जाएगी, ताकि वे तय समय पर उपस्थित रह सकें। इसके अलावा, अगर कोई किसान किसी कारणवश शिविर में भाग नहीं ले पाता है, तो वह पोर्टल पर ऑनलाइन जाकर भी अपने आंकड़ों की समीक्षा कर सकता है और आपत्ति दर्ज कर सकता है। यह डिजिटल पारदर्शिता किसानों को अधिकार के साथ सुविधा भी दे रही है।
कौन-कौन रहेंगे अभियान में शामिल?
इस अभियान की निगरानी और संचालन के लिए जिला गन्ना अधिकारी, गन्ना समितियों के सचिव, गन्ना पर्यवेक्षक, और संबंधित चीनी मिलों के कर्मचारी जिम्मेदार होंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि प्रक्रिया निष्पक्ष और समयबद्ध हो। किसानों की शिकायतें सीधे टोल फ्री नंबर 1800-121-3203 पर दर्ज की जा सकती हैं।
किसानों को मिलेगा तकनीकी मार्गदर्शन
इस शिविर के दौरान किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों और गन्ना उत्पादन बढ़ाने के उपायों की जानकारी भी दी जाएगी। यह न केवल उनकी वर्तमान फसल को लाभ देगा, बल्कि भविष्य के लिए भी मार्ग प्रशस्त करेगा।
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