भारत ने बनाया 'वर्ल्ड क्लास' इंजन टेस्ट सेंटर: दुनिया हैरान

नई दिल्ली। भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम उठाया है। बेंगलुरु के पास राजनुकुंटे में विकसित हो रही 'Twin Engine Test Bed Facility' भारत की जेट इंजन तकनीक को वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करने के योग्य बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है। यह अत्याधुनिक परीक्षण केंद्र न केवल वर्तमान परियोजनाओं को गति देगा, बल्कि भविष्य के एयरो-इंजन कार्यक्रमों की नींव भी मजबूत करेगा।

क्या है राजनुकुंटे टेस्ट फैसिलिटी?

राजनुकुंटे में बन रही यह फैसिलिटी विशेष रूप से 130kN थ्रस्ट तक के ट्विन जेट इंजनों के ग्राउंड टेस्टिंग के लिए डिज़ाइन की गई है। इसका मकसद है – देश में ही जेट इंजन डिजाइन, डेवलपमेंट और प्रमाणन की क्षमता विकसित करना। फिलहाल भारत अपने पांचवीं पीढ़ी के फाइटर प्रोजेक्ट, AMCA के लिए विदेशी इंजन पर निर्भर है। लेकिन यह टेस्ट फैसिलिटी भविष्य में भारत को अपना शक्तिशाली इंजन खुद बनाने में सक्षम बना सकती है।

भारत की टेक्नोलॉजिकल छलांग

फैसिलिटी का निर्माण कार्य सितंबर 2023 में शुरू हुआ था और यह अक्टूबर 2025 तक पूरी तरह चालू होने की उम्मीद है। इसके चालू होते ही भारत के घरेलू इंजन परीक्षण को बड़ी गति मिलेगी। GTRE के नेतृत्व में बन रही यह फैसिलिटी, भारत को जेट इंजन तकनीक के उन पहलुओं तक पहुंच दिलाएगी जो अब तक केवल अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे कुछ देशों के पास ही थे।

कावेरी इंजन को मिलेगा नया जीवन

भारतीय एयरो इंजन प्रयासों में बहुचर्चित कावेरी इंजन अब नए अवतार में वापसी कर रहा है। इसका नॉन-आफ्टरबर्निंग संस्करण KDE (Kaveri Derivative Engine) विशेष रूप से स्टील्थ UCAV (Unmanned Combat Aerial Vehicle) के लिए तैयार किया गया है। इस इंजन की 49-51kN की थ्रस्ट क्षमता का ग्राउंड टेस्ट भारत और रूस दोनों जगह किया जा चुका है। रूस में इस इंजन की हाई-एल्टिट्यूड टेस्टिंग और इन-फ्लाइट वैरिफिकेशन 2026 के अंत तक पूरा होने की योजना है। यदि सबकुछ योजना अनुसार चला, तो यह भारत के पहले स्वदेशी सैन्य टर्बोफैन इंजन के प्रमाणन की दिशा में बड़ी सफलता होगी।

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