भारतीय वायुसेना को मिलेगा 'घातक' स्टील्थ ड्रोन, जानें ताकत

नई दिल्ली। 21वीं सदी के युद्धों में पारंपरिक हथियारों से ज्यादा अहम हो गया है तकनीकी प्रभुत्व। और जब बात हो एयरस्ट्राइक या डीप पेनिट्रेशन मिशन की, तो ड्रोन टेक्नोलॉजी एक गेमचेंजर के रूप में उभर कर सामने आई है। अब भारत भी इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है—अपने स्वदेशी स्टील्थ UCAV (Unmanned Combat Aerial Vehicle) ‘घातक’ के जरिए।

DRDO की एक बड़ी छलांग

घातक ड्रोन को विकसित कर रही है DRDO की प्रमुख प्रयोगशाला Aeronautical Development Establishment (ADE), जिसने भारतीय वायुसेना की आवश्यकताओं के आधार पर इसकी डिटेल्ड फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट अब नीति निर्धारकों के पास है और 'Acceptance of Necessity' की प्रक्रिया में है, जो रक्षा परियोजनाओं को मंजूरी देने की दिशा में पहला कदम होता है। साथ ही, इसके डेवलपमेंट और प्रोडक्शन के लिए पार्टनर चुनने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।

कैसा होगा 'घातक' ड्रोन?

'घातक' UCAV पूरी तरह से स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस होगा, यानी यह रडार की पकड़ में नहीं आएगा। इसके एयरफ्रेम का डिज़ाइन मॉड्यूलर रखा गया है—जिसमें नोज कोन, टेल, विंग्स और सेंटर विंग जैसे कंपोनेंट्स शामिल हैं। इससे न केवल इसकी मरम्मत और मॉडिफिकेशन आसान होंगे, बल्कि भविष्य में तकनीकी अपग्रेड भी संभव हो पाएंगे।

घातक की मारक क्षमता

ईंधन क्षमता: लगभग 3.7 टन, जो कि भारत के तेजस MK1A फाइटर जेट से भी अधिक है।

कॉम्बैट रेडियस: करीब 740 किलोमीटर, तेजस की 500 किलोमीटर रेंज से काफी आगे।

अदृश्य हमला: स्टील्थ टेक्नोलॉजी के कारण यह दुश्मन की रडार निगरानी से बचते हुए दुश्मन के इलाके में गहराई तक प्रवेश कर सकता है।

वर्तमान स्थिति और भविष्य की उड़ान

हालांकि 'घातक' ड्रोन अभी परीक्षण के प्रारंभिक चरण में है और पहली उड़ान की तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन प्रोटोटाइप एयरफ्रेम का निर्माण शुरू हो चुका है। जैसे ही टेस्टिंग पूरी होती है, यह भारतीय वायुसेना के हथियारों के जखीरे में एक क्रांतिकारी जोड़ बन जाएगा।

0 comments:

Post a Comment