ऊंचाई पर भी शत-प्रतिशत सटीकता
इस परीक्षण में आकाश प्राइम ने उच्च गति से उड़ने वाले लक्ष्यों को बेहद सटीकता से निशाना बनाया। यह प्रदर्शन केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि एक रणनीतिक सफलता भी है। उच्च ऊंचाई पर हवा का दबाव कम और मौसम अधिक प्रतिकूल होता है, ऐसे में किसी भी मिसाइल सिस्टम का सफल प्रदर्शन भारतीय रक्षा क्षमताओं में एक बड़ा मील का पत्थर है।
ऑपरेशन सिंदूर में सफलता की गूंज
रक्षा अधिकारियों के अनुसार, आकाश प्राइम ने पहले भी 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान चीनी विमानों और तुर्किये निर्मित ड्रोन के विरुद्ध जबरदस्त प्रदर्शन किया था। पाकिस्तान की ओर से किए गए इन हवाई हमलों को इस सिस्टम ने विफल कर दिया था। यह दिखाता है कि यह प्रणाली केवल परीक्षण में ही नहीं, बल्कि असली युद्ध-परिस्थिति में भी कारगर साबित हो चुकी है।
स्वदेशी तकनीक की एक और विजय
आकाश प्राइम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पूरी तरह से स्वदेशी प्रणाली है। DRDO द्वारा विकसित यह सिस्टम न सिर्फ आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और ठोस कदम है, बल्कि यह भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिभा और समर्पण का प्रमाण भी है। इसकी सफलता यह साबित करती है कि भारत अब वायु सुरक्षा के क्षेत्र में बाहरी तकनीक पर निर्भर नहीं है।
सेना में शामिल होंगी नई रेजिमेंट्स
रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि आकाश प्राइम को भारतीय सेना में तीसरी और चौथी एयर डिफेंस रेजिमेंट के रूप में शामिल किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि देश की वायु रक्षा क्षमता अब और व्यापक और संगठित रूप में विकसित होगी।
चीन और पाकिस्तान को चेतावनी
इस परीक्षण ने पड़ोसी देशों को भी स्पष्ट संकेत दे दिया है। लद्दाख जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इस प्रणाली की तैनाती, चीन के लिए विशेष रूप से गंभीर संकेत है, जो सीमा पर अपनी वायु शक्ति को बढ़ाने में लगा हुआ है। यह परीक्षण भारत की ओर से एक शांतिपूर्ण लेकिन सशक्त संदेश है—"हम तैयार हैं।"
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