लोहे की दीवार है: भारत का एयर डिफेंस सिस्टम!

नई दिल्ली। जब आसमान में दुश्मन की मिसाइलें या लड़ाकू विमान नजर आते हैं, तो किसी भी देश की पहली जरूरत होती है — एक ऐसा कवच जो इन खतरों को हवा में ही खत्म कर दे। भारत का एयर डिफेंस सिस्टम आज उसी सुरक्षा कवच का नाम बन चुका है, जो न सिर्फ आधुनिक है, बल्कि कई लेयर में काम करता है। यह सिस्टम भारत की सीमाओं को एक अटूट सुरक्षा घेरे में बांधता है।

एयर डिफेंस सिस्टम क्या होता है?

एयर डिफेंस सिस्टम एक ऐसा तकनीकी ढांचा है जो देश को हवाई खतरों से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका मकसद होता है — दुश्मन के फाइटर जेट, ड्रोन, क्रूज़ या बैलिस्टिक मिसाइल जैसे हवाई हथियारों को रडार और सेंसर से ट्रैक करना, और फिर उन्हें हवा में ही खत्म कर देना। यह सिस्टम युद्ध के मैदान में एक रणनीतिक बढ़त देता है और देश की सुरक्षा को एक नई ऊंचाई पर ले जाता है। 

भारत के प्रमुख एयर डिफेंस सिस्टम

1 .S-400 ट्रायम्फ: रूस से खरीदा गया यह हाई-एंड सिस्टम भारत की वायु रक्षा की रीढ़ है। यह एक साथ 72 टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है और 400 किमी तक की दूरी तक हमला कर सकता है। इसकी सबसे बड़ी ताकत है — मोबाइल होने की क्षमता और अत्यधिक सटीकता, चाहे मौसम कोई भी हो।

2 .बराक-8: भारत और इजराइल की संयुक्त परियोजना का यह कमाल का उदाहरण है। बराक-8 मिसाइलें 360 डिग्री कवरेज देती हैं और दुश्मन के एयरक्राफ्ट या मिसाइल को बेहद तेजी से इंटरसेप्ट कर सकती हैं। इसे थल, जल और वायु — तीनों सेनाएं उपयोग करती हैं।

3 .आकाश: DRDO द्वारा विकसित यह स्वदेशी सिस्टम कम दूरी के हवाई खतरों से रक्षा करता है। इसकी मिसाइलें 30 किमी तक की दूरी पर निशाना साध सकती हैं और 18,000 मीटर की ऊंचाई तक टारगेट को भेद सकती हैं। यह भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।

4 .स्पाइडर: इजराइल से लिया गया यह शॉर्ट रेंज, मोबाइल एयर डिफेंस सिस्टम है। इसकी खासियत है — फुर्ती और त्वरित प्रतिक्रिया। यह टैंक जैसे वाहनों पर तैनात होकर आगे बढ़ती सेना को हवाई हमलों से बचाता है।

क्या भारत तैयार है भविष्य के हवाई खतरों से?

भारत न सिर्फ वर्तमान के लिए, बल्कि भविष्य के लिए भी खुद को तैयार कर रहा है। हाइपरसोनिक मिसाइलों और स्वार्म ड्रोन जैसे खतरों से निपटने के लिए नई तकनीकों पर काम हो रहा है। साथ ही, अंतरिक्ष से आने वाले खतरे भी भारत के रणनीतिक योजनाओं में शामिल हैं।

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