1. धार्मिक मान्यता: 108 एक पवित्र संख्या
सनातन धर्म में 108 को अत्यंत पवित्र और पूर्ण संख्या माना गया है। माला, जिसे जाप के समय प्रयोग में लाया जाता है, उसमें भी 108 मनके होते हैं। यह संख्या एक निश्चित अनुशासन और साधना के स्तर को दर्शाती है, जो आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती है।
2. खगोलीय तथ्य: सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी का संबंध
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी, और सूर्य के व्यास का अनुपात लगभग 108 के आसपास है। यही बात चंद्रमा और पृथ्वी के संबंध में भी कही जाती है। इस खगोलीय संयोग को ब्रह्मांडीय संतुलन का प्रतीक माना गया है, और माना जाता है कि 108 बार जाप करने से साधक ब्रह्मांड की ऊर्जा से जुड़ता है।
3. योग और ऊर्जा का प्रवाह
योग शास्त्रों में बताया गया है कि मानव शरीर में 72,000 नाड़ियाँ होती हैं, जिनमें से 108 प्रमुख नाड़ियाँ हृदय चक्र (अनाहत चक्र) में मिलती हैं। जब हम किसी मंत्र का 108 बार जाप करते हैं, तो इन नाड़ियों में ऊर्जा का प्रवाह संतुलित होता है, जिससे शरीर, मन और आत्मा के बीच सामंजस्य बनता है।
4. वैदिक गणित में 108 का महत्व
वैदिक गणित में 108 को पूर्णता की संख्या कहा गया है। यह संख्या 1 (ईश्वर), 0 (शून्यता या ब्रह्मांड) और 8 (अनंतता) का प्रतीक मानी जाती है। इन तीनों का संगम आध्यात्मिक यात्रा का सार है।
5. मंत्र जाप के लाभ
मंत्रों का 108 बार जाप करने से कई मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं:
मन की एकाग्रता: नियमित जाप से मन की चंचलता कम होती है और ध्यान की गहराई बढ़ती है।
आंतरिक शांति: मंत्रों के कंपन से मन और आत्मा में गहन शांति का अनुभव होता है।
ऊर्जा संतुलन: जाप शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और नकारात्मकता को दूर करता है।
आत्म-ज्ञान: यह आत्मचिंतन, आत्म-निरीक्षण और आत्म-विकास का मार्ग खोलता है।
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