मिसाइल शक्ति में आत्मनिर्भर भारत, रक्षा क्षेत्र में बड़ा कदम

नई दिल्ली।भारत ने अपनी मिसाइल शक्ति को मजबूत करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर मजबूती से कदम बढ़ाया है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों के तहत देश में आधुनिक और स्वदेशी मिसाइलों के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिससे न केवल भारत की सामरिक क्षमताएं बढ़ रही हैं, बल्कि विदेशी निर्भरता में भी उल्लेखनीय कमी आई है।

स्वदेशी मिसाइलों का निर्माण तेज़

भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने हाल के वर्षों में कई सफल मिसाइल परियोजनाओं को अंजाम दिया है। इनमें ब्रह्मोस, अग्नि, पृथ्वी, आकाश और नाग जैसी मिसाइलें शामिल हैं, जो अब भारत के शस्त्रागार का मजबूत हिस्सा बन चुकी हैं। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, जो रूस के साथ मिलकर विकसित की गई थी, अब स्वदेशीकरण के रास्ते पर है और इसके कई हिस्से अब भारत में ही बनाए जा रहे हैं।

भंडारण और तैयारियों में तेजी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत रणनीतिक दृष्टिकोण से मिसाइलों का एक सुरक्षित और संतुलित भंडार तैयार कर रहा है। इसका उद्देश्य संभावित खतरों से निपटने के लिए तत्परता बनाए रखना है। यह भंडार देश की पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं पर सुरक्षा संतुलन को बनाए रखने में मदद करेगा।

निजी क्षेत्र की भागीदारी

आत्मनिर्भरता के इस अभियान में निजी रक्षा कंपनियों की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही है। टाटा, लार्सन एंड टुब्रो (L&T), भारत फोर्ज जैसे उद्योग अब मिसाइल निर्माण की आपूर्ति श्रृंखला में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इससे उत्पादन क्षमता बढ़ी है और नई तकनीकों के विकास को भी बल मिला है।

वैश्विक स्तर पर संदेश

भारत की मिसाइल ताकत में यह उन्नति केवल सामरिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति के लिहाज़ से भी महत्वपूर्ण है। यह संदेश स्पष्ट है कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार है और किसी भी संभावित खतरे का सामना करने में सक्षम है।

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