रूस का उभार: एक नया ऊर्जा भागीदार
फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद, पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खरीद पर प्रतिबंध लगाए। इससे रूस को नए बाजारों की तलाश करनी पड़ी, और भारत जैसे देशों को भारी छूट पर कच्चा तेल बेचना शुरू किया। भारत की रिफाइनरियों ने इस अवसर का भरपूर लाभ उठाया और देखते ही देखते रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया। आज भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 40% के आसपास है, जो किसी भी एकल देश के लिए बहुत बड़ी हिस्सेदारी है।
विविधीकरण की रणनीति: 40 देशों तक फैला नेटवर्क
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में कहा कि भारत अब करीब 40 देशों से कच्चा तेल खरीद रहा है। यह संख्या कुछ साल पहले तक केवल 27 थी। इस कदम का उद्देश्य केवल रूस या मध्य पूर्व जैसे पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता को कम करना नहीं है, बल्कि वैश्विक बाजार में अनिश्चितता, भू-राजनीतिक दबाव और मूल्य अस्थिरता से निपटना भी है।
भारत जिन देशों से तेल आयात करता है, उनमें शामिल हैं:
मध्य पूर्व: इराक, सऊदी अरब, यूएई, कुवैत, ओमान, बहरीन, ईरान (हालांकि वर्तमान में प्रतिबंधों के कारण सीमित)
रूस और यूरोप: रूस प्रमुख रूप से, साथ ही कज़ाखस्तान, नॉर्वे जैसी सीमांत आपूर्ति करने वाले देश
अफ्रीका: नाइजीरिया, अंगोला, अल्जीरिया, लीबिया, घाना, गबोन, कांगो, चाड, मोजाम्बिक, दक्षिण सूडान
अमेरिका महाद्वीप: अमेरिका, ब्राजील, मैक्सिको, कोलंबिया, वेनेजुएला, इक्वाडोर, अर्जेंटीना, गुयाना, ट्रिनिडाड और टोबैगो
एशिया और अन्य क्षेत्र: इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम, ब्रुनेई, साउथ कोरिया, यमन, सीरिया
ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में मजबूत कदम
भारत की यह रणनीति सिर्फ आयात के विविधीकरण तक सीमित नहीं है। सरकार देश के भीतर तेल और गैस भंडार की खोज और उत्पादन को भी बढ़ावा दे रही है, ताकि आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रगति हो सके। साथ ही, अक्षय ऊर्जा स्रोतों की ओर रुझान और ईंधन की खपत में दक्षता बढ़ाना भी भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा रणनीति का हिस्सा है।
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