यूपी में पंचायतों का परिसीमन, आज से वोटर लिस्ट का रिवीजन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश जैसे विशाल और विविध जनसंख्या वाले राज्य में पंचायत चुनावों की प्रक्रिया हर बार नए राजनीतिक और प्रशासनिक बदलावों के साथ सामने आती है। आगामी संभावित पंचायत चुनाव 2026 को लेकर राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग ने तैयारी शुरू कर दी है, जिसमें पंचायतों के परिसीमन और वोटर लिस्ट के रिवीजन की प्रक्रिया अहम भूमिका निभाएगी। यह प्रक्रिया न केवल चुनावी अनुशासन सुनिश्चित करेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्र की सटीक राजनीतिक तस्वीर भी उकेरेगी।

पंचायत परिसीमन: ग्रामीण और शहरी सीमाओं का पुनर्निर्धारण

पिछले पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश के नगर निगमों का विस्तार हुआ है, साथ ही नई नगर पालिकाएं और नगर पंचायतें भी बनी हैं। इस विस्तार ने ग्रामीण इलाकों की सीमाओं को प्रभावित किया है, जिससे ग्राम पंचायतों और वॉर्डों की संख्या व उनकी सीमाओं में बदलाव आवश्यक हो गया है। इस बदलते नक्शे को ठीक से परिभाषित करने के लिए पंचायती राज विभाग ने परिसीमन की प्रक्रिया शुरू की है।

परिसीमन की पहली प्राथमिकता जनसंख्या का ग्राम पंचायत स्तर पर निर्धारण है। शहरी क्षेत्रों के विस्तार के कारण कई ग्राम पंचायतों के हिस्से अब शहरी निकाय में आ चुके हैं। इन हिस्सों को अलग करने के बाद ही वास्तविक ग्रामीण जनसंख्या का आकलन संभव होगा। इसके बाद वॉर्डों का परिसीमन कर उनकी सूची आम जनता के लिए जारी की जाएगी, ताकि यदि कोई विरोध या सुझाव हो तो उसे भी समायोजित किया जा सके। अगस्त के मध्य तक परिसीमन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने का लक्ष्य रखा गया है।

वोटर लिस्ट रिवीजन: निष्पक्ष चुनाव की गारंटी

राज्य निर्वाचन आयोग ने भी वोटर लिस्ट के रिवीजन की कवायद शुरू कर दी है। इसके तहत सबसे पहले उन वोटरों के नाम हटाए जाएंगे जो अब ग्राम पंचायत के बजाय शहरी निकायों के अंतर्गत आ गए हैं। इससे वोटर लिस्ट अधिक सटीक और भरोसेमंद होगी। इसके बाद वोटर लिस्ट की प्रिंटिंग, बीएलओ (ब्लॉक लेवल ऑफिसर) को वितरण और उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जाएगी। यह अभियान छह महीने से अधिक समय तक चलेगा, ताकि हर स्तर पर पूरी तैयारी सुनिश्चित हो सके।

0 comments:

Post a Comment