Y-20 से तीन बार हुआ शिपमेंट, OSNIT की पुष्टि
भारतीय ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSNIT) कम्युनिटी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीनी मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट Y-20 ने हाल के हफ्तों में कम से कम तीन बार पाकिस्तान के लिए उड़ान भरी, जिनमें HQ-16 की बैटरियां और संबंधित उपकरण भेजे गए। Y-20 की 66 टन तक माल ले जाने की क्षमता को देखते हुए यह संकेत मिलते हैं कि चीन ने पाकिस्तान को दोबारा एयर डिफेंस ताकत देने की कोशिश की है।
क्या HQ-16 रोक पाएगा भारत के ब्रह्मोस को?
इस सवाल का सीधा जवाब है – नहीं। HQ-16 भले ही एक मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली हो, जिसकी रेंज लगभग 40 किलोमीटर तक है, लेकिन यह ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के सामने बेहद कमजोर साबित हुई है। ब्रह्मोस की स्पीड Mach 2.8–3.0 तक होती है और यह बेहद कम ऊंचाई पर उड़ती है, जिससे इसे ट्रैक करना और इंटरसेप्ट करना अत्यधिक कठिन हो जाता है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने इसी सिस्टम को आसानी से चकमा देकर टारगेट्स को सफलतापूर्वक नष्ट किया था।
चीनी तकनीक की विश्वसनीयता पर सवाल
भारत द्वारा किए गए सटीक हमलों से यह भी साबित हुआ कि चीनी रडार सिस्टम, जैसे YLC-8E, भारतीय इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और प्रिसिजन स्ट्राइक्स के सामने टिक नहीं पाए। यहां तक कि चीन ने भी माना कि HQ-16 जैसे सिस्टम ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों को रोकने में नाकाम हैं। इसके बावजूद पाकिस्तान ने फिर से उन्हीं हथियारों की डिलीवरी का आग्रह किया, जिससे यह भी साफ होता है कि विकल्पों की कमी और चीन पर रणनीतिक निर्भरता अभी भी पाकिस्तान की रक्षा नीति का हिस्सा है।
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