1. मेथी के बीज – सूजन का प्राचीन इलाज
मेथी के बीज में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो आंतरिक सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसे रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट इसका पानी पिया जाए तो गर्भाशय की सूजन में राहत मिल सकती है।
2. अदरक और हल्दी – प्राकृतिक दर्द निवारक
अदरक और हल्दी दोनों ही पुराने समय से आयुर्वेद में दर्द और सूजन को कम करने के लिए इस्तेमाल होते आ रहे हैं। हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व होता है जो शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी है। वहीं अदरक पेट की सूजन और ऐंठन को दूर करने में सहायक है। अदरक-हल्दी की चाय या इन्हें भोजन में शामिल कर नियमित सेवन किया जा सकता है।
3. तुलसी का पानी – संक्रमण से बचाव
तुलसी को भारतीय संस्कृति में औषधीय पौधा माना गया है। इसके पत्तों में एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो गर्भाशय में संक्रमण को दूर करने में मदद करते हैं। 5-7 तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर पीने से इम्यूनिटी भी मजबूत होती है और सूजन में राहत मिलती है।
4. नारियल पानी – शरीर को अंदर से साफ़ करता है
नारियल पानी ना केवल शरीर को ठंडक पहुंचाता है, बल्कि इसके इलेक्ट्रोलाइट्स और पोषक तत्व गर्भाशय की सूजन को कम करने में भी मदद करते हैं। दिन में एक बार नारियल पानी का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है।
5. अजवाइन – संक्रमण और ऐंठन में राहत
अजवाइन में पाचन सुधारने और सूजन को कम करने के गुण होते हैं। इसका काढ़ा बनाकर पीने से गर्भाशय की ऐंठन और संक्रमण में राहत मिलती है। विशेष रूप से प्रसव के बाद महिलाओं को यह काफी लाभ पहुंचा सकता है।
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