यूपी के सभी जिलों में लागू होगी ये नई व्यवस्था

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार तकनीकी क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन लाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य को एक एकीकृत और मजबूत डिजिटल ढांचे से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना "वन स्टेट वन नेटवर्क" जल्द ही सभी जिलों में लागू होने जा रही है। इस योजना का उद्देश्य पूरे प्रदेश को एक ही नेटवर्क से जोड़कर सरकारी कामकाज को अधिक पारदर्शी, तेज़ और सुरक्षित बनाना है।

क्या है "वन स्टेट वन नेटवर्क"?

"वन स्टेट वन नेटवर्क" एक ऐसी योजना है जिसके अंतर्गत मुख्यमंत्री कार्यालय, सचिवालय, जिला मुख्यालय, तहसील, ब्लॉक और यहां तक कि ग्राम पंचायत स्तर तक सभी शासकीय संस्थाओं को एक ही डिजिटल नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। इसका क्रियान्वयन उत्तर प्रदेश के आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा किया जा रहा है।

आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री सुनील कुमार शर्मा ने इस योजना की जानकारी देते हुए बताया कि यह केवल एक तकनीकी व्यवस्था नहीं, बल्कि राज्य में सुशासन की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। इस नेटवर्क के ज़रिए न केवल विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित होगा, बल्कि योजनाओं के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और गति भी आएगी।

क्यों है यह योजना ज़रूरी?

वर्तमान समय में शासन की गति और पारदर्शिता सीधे तौर पर डिजिटल संरचना पर निर्भर करती है। अलग-अलग विभागों के बीच जानकारी का आदान-प्रदान अक्सर सुस्त रहता है, जिससे विकास कार्यों में देरी और भ्रांतियाँ उत्पन्न होती हैं। "वन स्टेट वन नेटवर्क" की मदद से पूरे प्रदेश की सभी सरकारी इकाइयाँ एकीकृत होंगी, जिससे— सूचना का प्रवाह तेज़ होगा, निर्णय लेने में देरी नहीं होगी, फाइलों के चक्कर और कागजी प्रक्रिया कम होगी, और डेटा सुरक्षा को नया स्तर मिलेगा।

डेटा सुरक्षा और संचार का मज़बूतीकरण

आज के समय में साइबर सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है। इस योजना के अंतर्गत डेटा सुरक्षा के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। राज्य का अपना नेटवर्क होने से बाहरी नेटवर्क्स पर निर्भरता कम होगी, जिससे संवेदनशील जानकारी सुरक्षित रहेगी। इसके अलावा, इस नेटवर्क के माध्यम से एकीकृत संचार प्रणाली विकसित की जाएगी, जिससे प्रशासनिक सूचनाएं और निर्देश जल्दी से जल्दी अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सकें।

ग्रामीण भारत में डिजिटल परिवर्तन

एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि यह नेटवर्क केवल शहरी या जिला स्तर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि ग्राम पंचायतों तक विस्तार पाएगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में ई-गवर्नेंस को बढ़ावा मिलेगा और गांवों में भी डिजिटल इंडिया की आत्मा को साकार किया जा सकेगा।

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