भारत ने रूस से तेल का आयात बढ़ाया, ट्रंप गुस्सा!

नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी लगातार मजबूत होती जा रही है। अमेरिकी प्रतिबंधों और ट्रंप प्रशासन की चेतावनियों के बावजूद भारत ने जून 2025 में रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया। यह फैसला सिर्फ रणनीतिक नहीं बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी बेहद व्यावहारिक रहा है।

रूस बना भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता

जून 2025 में भारत ने रूस से 2.08 मिलियन बैरल प्रतिदिन (bpd) कच्चा तेल आयात किया। यह आंकड़ा जुलाई 2024 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। रूस अब भारत की कुल कच्चे तेल की जरूरतों का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा पूरा कर रहा है।

इससे पहले मध्य पूर्व — विशेषकर इराक और सऊदी अरब — भारत के प्रमुख आपूर्तिकर्ता थे। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जब पश्चिमी देशों ने रूस पर सख्त प्रतिबंध लगाए, तब रूसी तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई। भारतीय रिफाइनरियों ने इस मौके का फायदा उठाते हुए रूसी तेल की खरीद तेज कर दी।

पश्चिम एशिया में तनाव, भंडारण की ज़रूरत

जून में तेल आयात बढ़ने की एक बड़ी वजह पश्चिम एशिया में जारी तनाव भी है। खासकर इज़रायल और ईरान के बीच टकराव ने आपूर्ति श्रृंखलाओं पर खतरा खड़ा कर दिया है। ऐसे में भारतीय रिफाइनरियां भविष्य की संभावित आपूर्ति बाधाओं से बचने के लिए पहले से भंडारण बढ़ा रही हैं।

अमेरिका की नाराज़गी और ट्रंप की चेतावनियाँ

अमेरिका, विशेष रूप से ट्रंप की ओर से भारत पर रूस से तेल आयात कम करने का दबाव बना रहा है। अमेरिका का मानना है कि रूस से तेल खरीदने से उसके खिलाफ लगे प्रतिबंधों की प्रभावशीलता कम होती है। लेकिन भारत ने अब तक संतुलित विदेश नीति का पालन करते हुए अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी है।

अन्य देशों से आपूर्ति की स्थिति

जून में रूस से कच्चे तेल के आयात में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

इराक से आयात 893,000 bpd रहा, जो पिछले महीने की तुलना में 17.2% कम है।

सऊदी अरब से लगभग 581,000 bpd का स्थिर आयात हुआ।

यूएई से आपूर्ति 6.5% बढ़कर 490,000 bpd पहुंची।

अमेरिका से आयात 303,000 bpd रहा, जो कुल आपूर्ति का मात्र 6.3% है।

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