यूपी में सभी 'शिक्षकों' के लिए एक बड़ी खुशखबरी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों, शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के लिए एक नई उम्मीद की किरण उभरी है। यह पहल किसी सरकार या बाहरी संस्था की नहीं, बल्कि स्वयं शिक्षकों द्वारा शिक्षकों के लिए चलाई जा रही है। "टीचर्स सेल्फ केयर टीम (टीएससीटी)" नामक संगठन ने एक महत्वपूर्ण योजना "जीवन दान योजना" की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे शिक्षकों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है।

योजना की शुरुआत और उद्देश्य

इस योजना की औपचारिक शुरुआत 5 अगस्त से हो चुकी है। शुरुआत में पांच लाख रुपये का फंड जुटाकर 11 अगस्त को जरूरतमंद शिक्षकों को पहली बार सहायता प्रदान की जाएगी। इसके तहत संगठन के सदस्य 10 अगस्त तक 200 रुपये का अंशदान करेंगे। यह योगदान एक कार्पस फंड के रूप में संग्रहित किया जाएगा, जिससे जरूरतमंद सदस्यों को समय पर चिकित्सा सहायता दी जा सके।

इस पहल की खास बात यह है कि यह केवल आर्थिक सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक भावनात्मक जुड़ाव और आपसी सहयोग की भावना को भी दर्शाता है। यह एक मिसाल है कि शिक्षक न केवल शिक्षा का कार्य करते हैं, बल्कि संकट की घड़ी में एक-दूसरे का सहारा भी बन सकते हैं।

सहायता की शर्तें और प्रक्रिया

1 .शिक्षक को कम से कम 18 महीने से संगठन का सदस्य होना चाहिए, जबकि शिक्षामित्र और अनुदेशकों के लिए यह अवधि 17 महीने तय की गई है।

2 .केवल वही चिकित्सा खर्च मान्य होंगे जो अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में आएंगे। इलाज का खर्च 2 लाख रुपये से अधिक होना आवश्यक है।

3 .सहायता प्राप्त करने के लिए आवेदन करने से तीन महीने पहले तक सदस्यता शुल्क जमा होना जरूरी है।

4 .संगठन की पिछली सहायता अपीलों में 90% बार सहयोग करने का रिकॉर्ड भी अनिवार्य शर्तों में से एक है।

5 .सहायता की अधिकतम सीमा 5 लाख रुपये तय की गई है, जिसे भविष्य में बढ़ाया जा सकता है।

6 .एक सदस्य को दो वर्षों में एक बार ही सहायता दी जाएगी।

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