बिहार में "शिक्षकों" के ट्रांसफर पर बड़ा फैसला

पटना। बिहार के लाखों शिक्षकों के लिए यह खबर न केवल राहत की है, बल्कि एक लंबे समय से चली आ रही समस्या के समाधान की शुरुआत भी है। शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के स्थानांतरण (ट्रांसफर) और पदस्थापन (पोस्टिंग) से जुड़ी शिकायतों के निष्पादन को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं। इस पहल से न केवल प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आएगी, बल्कि अनावश्यक देरी और पक्षपात की आशंकाओं को भी खत्म किया जा सकेगा।

ई-शिक्षाकोष पोर्टल: तकनीक के सहारे पारदर्शिता

अब से सभी ट्रांसफर या पोस्टिंग से जुड़ी शिकायतें ‘ई-शिक्षाकोष’ पोर्टल के माध्यम से दर्ज की जाएंगी। यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन और ट्रैक करने योग्य बनाता है। शिक्षकों को किसी कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने होंगे, बल्कि वे अपनी शिकायत या अनुरोध सीधे पोर्टल पर दर्ज कर सकते हैं।

31 अगस्त तक समीक्षा, 1 से 10 सितंबर तक ट्रांसफर

शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि: 31 अगस्त 2025 तक सभी लंबित शिकायतों की समीक्षा पूरी कर ली जाए। 1 से 10 सितंबर 2025 के बीच संबंधित शिक्षकों के ट्रांसफर और पोस्टिंग की कार्रवाई पूरी की जाए। यह समयसीमा इस बात का संकेत है कि विभाग इस बार प्रक्रिया को गंभीरता से और बिना अनावश्यक विलंब के अंजाम देना चाहता है।

दो स्तरों पर ट्रांसफर प्रक्रिया

ट्रांसफर से जुड़ी समस्याओं को विभाग ने दो श्रेणियों में बांटा है:

जिला स्तरीय ट्रांसफर: ऐसे मामले जो किसी एक ही जिले के भीतर हैं। इनका निपटारा जिला पदाधिकारी (DM) की अध्यक्षता में बनी जिला स्थापना समिति करेगी। समिति की सिफारिशों पर नए सिरे से ट्रांसफर या पोस्टिंग के आदेश जारी किए जाएंगे।

अंतर-जिला ट्रांसफर: ऐसे मामले जहां एक जिले से दूसरे जिले में स्थानांतरण की मांग की गई है। इन मामलों की भी समीक्षा जिला समिति ही करेगी। लेकिन अंतिम आदेश प्राथमिक शिक्षा निदेशक द्वारा जारी किया जाएगा, जिला समिति की अनुशंसा के आधार पर।

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