ट्रंप की टैरिफ नीति बनी भारत के लिए चेतावनी की घंटी
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में जिस आक्रामक टैरिफ नीति को अपनाया है, उसने भारत जैसे सहयोगी देशों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। रूस से तेल खरीदने को लेकर ट्रंप ने भारत पर 25% का सेकेंडरी टैरिफ लगा दिया है, जो 27 अगस्त से लागू होने वाला है। इसके अलावा पहले से ही भारत-अमेरिका व्यापार में असंतुलन के बहाने एक और 25% टैरिफ भारत पर लादा गया है।
भारत ने क्यों साधा रूस और चीन से रिश्ता?
भारत का झुकाव चीन और रूस की ओर बढ़ना महज संयोग नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक प्रतिक्रिया है। भारत जानता है कि अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्ते अगर अविश्वसनीय होते हैं, तो उसे दूसरे विकल्पों की तलाश करनी होगी। रूस, भारत का पुराना सहयोगी है, और चीन के साथ मतभेदों के बावजूद हालिया संवाद यह दिखाते हैं कि भारत ने कूटनीतिक दरवाज़े बंद नहीं किए हैं।
ट्रंप की नीतियां: दोस्तों पर ही हमला
डोनाल्ड ट्रंप की यह नीति अब साफ दिखने लगी है कि वह दुश्मनों से ज्यादा अपने पुराने सहयोगियों पर टैरिफ की मार गिरा रहे हैं। पहले कनाडा और मेक्सिको, अब भारत। ट्रंप शायद यह भूल रहे हैं कि आर्थिक दबाव से किसी देश को झुकाया जा सकता है, लेकिन मित्रता का आधार दबाव नहीं, भरोसा होता है।
भारत पर टैरिफ से अमेरिका को ही नुकसान
भारत न सिर्फ एक बड़ी उपभोक्ता अर्थव्यवस्था है, बल्कि तकनीक, दवाइयों, सॉफ्टवेयर और औद्योगिक उत्पादों का बड़ा निर्यातक भी है। अमेरिका इन उत्पादों पर निर्भर है। भारत पर टैरिफ लगाने का मतलब है अमेरिकी कंपनियों के लिए लागत बढ़ना, सप्लाई चेन में अस्थिरता और अमेरिकी ग्राहकों के लिए महंगाई। ऐसे में ट्रंप की नीति अमेरिका के हितों को ही चोट पहुंचा रही है।
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