बिहार में चुनावी साल की सौगात: नीतीश सरकार के 7 बड़े फैसले

पटना। 2025 का साल बिहार के लिए चुनावी साल है और इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक के बाद एक कई बड़े फैसले लिए हैं, जिनका सीधा लाभ राज्य के गरीब, कमजोर और ग्रामीण वर्गों को मिलने जा रहा है। ये घोषणाएं जहां सामाजिक कल्याण के लिहाज़ से सकारात्मक मानी जा रही हैं, वहीं इनसे राज्य के खजाने पर असाधारण वित्तीय दबाव भी पड़ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक इन योजनाओं पर साल भर में करीब 1.15 लाख करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आने का अनुमान है।

1. गरीब परिवारों को 2 लाख रुपये

नीतीश सरकार का सबसे बड़ा फैसला 94 लाख गरीब परिवारों को दो-दो लाख रुपये एकमुश्त सहायता देने का है। पहले यह राशि पांच वर्षों में देने की योजना थी, लेकिन अब इसे तुरंत लागू करने की घोषणा की गई है। अनुमान है कि इससे सरकार पर अकेले एक वर्ष में ही 90,000 करोड़ रुपये तक का दबाव पड़ सकता है।

2. 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली

राज्य के करीब 1.67 करोड़ परिवारों को हर महीने 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का निर्णय लिया गया है। इस योजना से सरकार को 12,525 करोड़ रुपये का अतिरिक्त सालाना खर्च उठाना होगा। पहले से ही बिजली सब्सिडी का खर्च 25,000 करोड़ से ऊपर है, जो अब और बढ़ेगा।

3. सामाजिक सुरक्षा पेंशन में वृद्धि

सामाजिक सुरक्षा पेंशन को 400 रुपये से बढ़ाकर 1,100 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। राज्य में लगभग 1.16 करोड़ पेंशनधारी इस योजना का लाभ ले रहे हैं, जिससे कुल वित्तीय भार लगभग 9,000 से 10,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

4. रसोइयों का वेतन हुआ दोगुना

राज्य के 2.43 लाख से अधिक मिड-डे मील रसोइयों का मानदेय 1,650 से बढ़ाकर 3,300 रुपये कर दिया गया है। इससे राज्य सरकार को सालाना 480 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त व्यय करना होगा।

5. इन कर्मियों का मानदेय बढ़ा

पंचायती राज प्रतिनिधियों, आशा और ममता कार्यकर्ताओं, जीविका दीदियों, फिजिकल टीचरों और स्कूल रात्रि प्रहरियों के मानदेय में 15% से 50% तक की बढ़ोतरी की गई है। जेपी सेनानी पेंशन में भी वृद्धि की गई है। इन सभी मदों को मिलाकर सरकार पर 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त बोझ आ सकता है।

6. प्रतियोगी परीक्षाओं का शुल्क घटा

बेरोजगार युवाओं के लिए बड़ी राहत देते हुए सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं के फॉर्म शुल्क को घटाकर सिर्फ 100 रुपये कर दिया है। इससे लाखों युवा लाभान्वित होंगे, हालांकि राज्य सरकार को इस रियायत की भरपाई के लिए वैकल्पिक स्रोत तलाशने होंगे।

7. पत्रकारों और शिक्षकों के लिए प्रोत्साहन

पत्रकारों की पेंशन राशि और शिक्षकों को मिलने वाले पुरस्कार की धनराशि दोगुनी कर दी गई है। इससे शिक्षा और मीडिया जगत में कार्यरत लोगों को सामाजिक सुरक्षा का एक नया आधार मिलेगा।

वित्तीय संतुलन पर संकट?

नीतीश सरकार के इन फैसलों से सामाजिक स्तर पर तो निश्चित ही राहत मिलेगी, लेकिन वित्तीय स्थिरता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। राज्य सरकार को आने वाले वर्षों में कुल 1.15 लाख करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ सकता है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि या तो राज्य को अपने राजस्व स्रोत बढ़ाने होंगे या केंद्र सरकार की मदद लेनी होगी।

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