1. एनीमिया (खून की कमी)
गर्भवती महिलाओं में एनीमिया एक बेहद सामान्य समस्या है। शिशु के विकास के लिए शरीर को अतिरिक्त आयरन और विटामिन की आवश्यकता होती है, और जब यह ज़रूरत पूरी नहीं हो पाती, तो खून की कमी हो जाती है। इसके लक्षणों में थकावट, चक्कर आना, सांस फूलना और चेहरे की पीली रंगत शामिल हैं। एनीमिया से समयपूर्व प्रसव और शिशु के कम वजन का खतरा बढ़ सकता है।
बचाव: आयरन युक्त आहार जैसे पालक, चुकंदर, अनार, गुड़ और डॉक्टर की सलाह से आयरन सप्लिमेंट्स लेना ज़रूरी होता है।
2. गेस्टेशनल डायबिटीज
यह एक प्रकार की डायबिटीज है जो सिर्फ गर्भावस्था के दौरान होती है। जब शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता, तब ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। इससे मां और बच्चे दोनों को खतरा हो सकता है।
बचाव: नियमित ब्लड शुगर जांच, संतुलित आहार और हल्की फिजिकल एक्टिविटी से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
3. हाई ब्लड प्रेशर
गर्भवती महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर एक गंभीर स्थिति बन सकती है, जिसे यदि समय पर नियंत्रित न किया जाए तो मां और बच्चे की जान पर बन सकती है।
बचाव: नियमित बीपी मॉनिटरिंग, लो-सोडियम डाइट और डॉक्टर की सलाह अनुसार दवा का सेवन ज़रूरी होता है।
4. यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन
गर्भावस्था में यूरिन इन्फेक्शन की संभावना बढ़ जाती है। यदि समय पर इलाज न हो तो यह किडनी इंफेक्शन का कारण बन सकता है और समय से पहले डिलीवरी का खतरा भी पैदा कर सकता है।
बचाव: अधिक मात्रा में पानी पीना, स्वच्छता बनाए रखना और किसी भी लक्षण पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना।
0 comments:
Post a Comment