मानवीय दृष्टिकोण से होगी रिहाई की प्रक्रिया
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि गंभीर बीमारियों से पीड़ित ऐसे बंदियों की पहचान की जाए, जिनकी रिहाई के बाद इलाज से स्वास्थ्य में सुधार की संभावना है। खासतौर पर वे कैदी जो घातक बीमारी या शारीरिक अक्षमता से ग्रस्त हैं और जिनकी मृत्यु की आशंका निकट भविष्य में है, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर रिहा किया जाए।
इस पहल के पीछे एक मानवीय सोच है की बंदियों को जेल के कठोर वातावरण में असहनीय पीड़ा से बचाते हुए उन्हें सम्मानजनक चिकित्सा और देखभाल का अवसर देना। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि रिहाई के लिए पात्र बंदियों को अलग से आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। यह प्रक्रिया स्वतः संज्ञान में लेकर संचालित हो।
महिलाओं और बुजुर्गों को मिलेगी प्राथमिकता
मुख्यमंत्री योगी ने स्पष्ट किया कि महिला और बुजुर्ग बंदियों को रिहाई में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इससे जेलों में भीड़ कम होने के साथ-साथ मानवाधिकारों की रक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी।
जेलों में किया जाएगा सर्वेक्षण
प्रदेश की सभी जेलों में ऐसे बंदियों की वास्तविक संख्या जानने के लिए व्यापक सर्वेक्षण कराया जाएगा। यह सर्वेक्षण यह तय करने में मदद करेगा कि कितने बंदी असाध्य रोगों से पीड़ित हैं और उनकी हालत कितनी गंभीर है। हालांकि, मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि यह राहत सभी के लिए नहीं है। हत्या, आतंकवाद, देशद्रोह, महिला और बच्चों के विरुद्ध जघन्य अपराधों के मामलों में किसी भी तरह की रिहाई नहीं दी जाएगी। समाज की सुरक्षा सर्वोपरि है, और इस फैसले को लेते समय इसी संतुलन को बनाए रखना अनिवार्य होगा।
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