सरकार का मानवीय कदम
यह बदलाव राज्य सरकार के सामाजिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। ग्रामीण इलाकों में अक्सर ऐसी महिलाएं जो पति की मृत्यु के बाद बेसहारा हो जाती हैं, उनके पास ना तो रोजगार होता है और ना ही रहने के लिए पक्का घर। ऐसे में 40 वर्ष की उम्र के बाद भी जीवन की चुनौतियों से जूझ रही महिलाओं के लिए यह पहल एक बड़ी राहत है। विशेषकर उन महिलाओं को, जो किसी प्राकृतिक आपदा में सब कुछ खो चुकी हैं या जो वंचित और हाशिए पर खड़ी जातियों से आती हैं, जैसे मुसहर, कोल, सहरिया, थारू, वनटांगिया आदि उन्हें अब इस योजना से सीधा लाभ मिलेगा।
धनराशि और पारदर्शिता पर जोर
इस योजना के तहत एक लाख पात्र लाभार्थियों को पक्का मकान देने के लिए 400 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। यह राशि प्रथम किस्त के रूप में जारी की गई है ताकि निर्माण कार्य में तेजी लाई जा सके। राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि लाभार्थियों के चयन में पूरी पारदर्शिता बरती जाए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वास्तव में ज़रूरतमंद लोगों तक योजना का लाभ पहुंचे, न कि प्रभावशाली या फर्जी आवेदकों तक।
अब तक की क्या है उपलब्धियां?
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में 36.56 लाख से अधिक पक्के आवास बनाए जा चुके हैं। जबकि मुख्यमंत्री आवास योजना (ग्रामीण), जिसे वर्ष 2018 में शुरू किया गया था, के तहत अब तक 3.73 लाख से अधिक घरों को मंजूरी दी जा चुकी है। अब इस नई पात्रता सीमा के साथ और अधिक महिलाएं इस योजना में शामिल हो पाएंगी, जिससे महिला सशक्तिकरण को और बल मिलेगा।
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