SCO की क्या है भूमिका और इसका महत्व?
शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना 2001 में हुई थी, जिसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना है। चीन, भारत, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ईरान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और बेलारूस इसके प्रमुख सदस्य हैं। यह संगठन क्षेत्रीय शांति, आतंकवाद, उग्रवाद, और अस्थिरता को कम करने के लिए मिलकर काम करता है। खासकर आज के वैश्विक परिदृश्य में, जहां सुरक्षा चुनौतियां और आर्थिक प्रतिस्पर्धा तेज हो रही हैं, SCO का महत्व और भी बढ़ गया है।
भारत की भागीदारी और रणनीतिक दृष्टिकोण
भारत SCO का सक्रिय सदस्य है और इसे अपनी क्षेत्रीय और वैश्विक नीति के लिए एक महत्वपूर्ण मंच मानता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बैठक में मौजूदगी और उनके संबोधन से यह स्पष्ट होगा कि भारत कैसे SCO के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत कर सकता है। भारत आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाता है और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए SCO को एक प्रभावी मंच मानता है। इसके अलावा, भारत आर्थिक और तकनीकी सहयोग के क्षेत्रों में भी अपने सहयोग को बढ़ाना चाहता है।
तियानजिन बैठक के एजेंडे पर नजर
इस बार की बैठक में आतंकवाद, आर्थिक पुनर्बलन, ऊर्जा सहयोग, कोविड-19 महामारी के बाद पुनरुद्धार, डिजिटल अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे चर्चा के केंद्र में हैं। इसके अलावा, सदस्य देशों के बीच सीमा सुरक्षा, सामरिक सहयोग और व्यापारिक समझौतों को भी मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
भारत-रूस वार्ता की भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से होने वाली मुलाकात SCO के सत्र के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को और गहरा करने का अवसर होगी। दोनों देश आर्थिक, सुरक्षा और वैश्विक राजनीतिक मुद्दों पर आपसी सहयोग को और बढ़ाने की संभावना रखते हैं।
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